भारत और चीन के रिश्ते चीनी तानाशाह माओत्से तुंग के जमाने से तनावपूर्ण रहे हैं. वर्तमान में कई लोग माओ को एक विवादास्पद व्यक्ति मानते हैं, लेकिन चीन में वे राजकीय रूप में महान क्रान्तिकारी, राजनीतिक रणनीतिकार, सैनिक पुरोधा एवं देशरक्षक माने जाते हैं. माओत्से तुंग के भले ही अपने जमाने का खतरनाक तानाशाह रहा हो लेकिन एक बार भारत के उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने माओ के ही घर में उसका गाल थपथपाया दिया था और वह देखता रह गया था. माओ को गुस्सा आता उससे पहले ही सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने ही अंदाज में रिश्तों में गर्माहट ला दी.
अब आप सोच रहे होंगे कि एक दम से मैं आपसे माओत्से तुंग के बारे में क्यों बात कर रहा हूं. आज 26 दिसंबर 1893 को चीन के Hunan राज्य के एक गांव में किसान के घर में कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष माओ से तुंग का जन्म हुआ था. आज हम माओ की जयंती पर उनसे जुड़े दिलचस्प किस्से के बारे में जानते हैं.
माओत्से तुंग का जन्म 26 दिसंबर 1893 को चीन के हुनान प्रांत के शाओशान के एक गांव में किसान परिवार में हुआ था. माओत्से तुंग को चीनी इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक माना जाता है. उनके जीवन और नेतृत्व का देश पर गहरा प्रभाव पड़ा है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की दिशा को आकार मिला.
चीनी तानाशाह पूरी रात काम करता था और तड़के सोता था. इसलिए विदेशी नेताओं और प्रतिनिधिमंडल से भी वह रात में ही मुलाकात करता था. काम से खाली होते ही वह प्रतिनिधियों को मिलने के लिए अपने कमरे में बुला लेता था.
साल 1956 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष एम. ए. आयंगर की अगुवाई में भारत का एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल चीन पहुंचा था. प्रतिनिधिमंडल को रात में 10.30 बजे सूचना दी गई कि माओ रात में 12 बजे उनसे मिलेंगे. रात में जब प्रतिनिधिमंडल के सदस्य मिलने पहुंचे तो माओ ने सभी भारतीय सांसदों से हाथ मिलाया. बातचीत के दौरान माओ लोकसभा अध्यक्ष आयंगर के सवालों का जवाब हां-हूं में ही दे रहा था. लेकिन चर्चा में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि स्वाधीनता के बाद का भारत किसी ढोल जैसा हो गया था, जिसे अमेरिका और रूस अपनी-अपनी तरफ से बजाते थे. उनकी इस बात पर माओ ने जोरदार ठहाका लगाने लगा.
प्रतिनिधिमंडल के साथ पूरी बैठक में माओ एक के बाद एक कई सिगरेट जलाता रहा. तब चीन में भारत के राजदूत आर. के. नेहरू हुआ करते थे. उन्होंने सिगरेट मुंह में लगाई तो माओ ने स्वयं खड़े होकर उनकी सिगरेट को जलाया. यह देखकर भारत से गए सांसद और सभी राजनयिक आश्चर्य में पड़ गए थे.
भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के दौरे के बाद अगले ही साल भारत के उप राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन गए. यहां माओ ने अपने निवास चुंग नान हाई के आंगन में उनका स्वागत किया. उस दौरान एक ऐसी घटना हुई, जिसने सबको चौंका दिया. माओ ने जैसे ही सर्वपल्ली राधाकृष्णन से हाथ मिलाया, उन्होंने उसका गाल थपथपा दिया. उपराष्ट्रपति की इस अनौपचारिक हरकत पर माओ गुस्सा जताता या आश्चर्य में पड़ता, उससे पहले ही उन्होंने ऐसी बात कह दी जिससे माओ किसी तरह की प्रतिक्रिया ही नहीं दे पाया. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा, चेयरमैन महोदय परेशान होने की जरूरत नहीं है. ऐसा ही मैंने पोप और स्टालिन के साथ भी किया था.
मुलाकात के बाद चीनी तानाशाह के साथ सर्वपल्ली राधाकृष्णन खाने पर बैठे तो उसने अपनी ओर से अनौपचारिक होने के लिए जो हरकत कर उसने उपराष्ट्रपति को हैरान कर दिया. दरअसल, सर्वपल्ली राधाकृष्णन पूरी तरह से शाकाहारी थे. खाने के दौरान माओ ने अपनी प्लेट से अपनी चॉपस्टिक से उठाकर थोड़ा सा मांस उपराष्ट्रपति की प्लेट में रख दिया. इसके बावजूद सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने तानाशाह के सामने यह जाहिर नहीं होने दिया कि उसने कुछ गलत किया है.
सर्वपल्ली राधाकष्णन के चीन दौरे के दौरान तानाशाह ने बेहतरीन प्रयास किया. चीन से पहले उपराष्ट्रपति कंबोडिया गए थे. वहां एडीसी की गलती के कारण उपराष्ट्रपति का हाथ कार के दरवाजे में आ गया था, जिसके कारण उनकी अंगुली में फ्रैक्चर हो गई. इसलिए उस पर पट्टी बंधी हुई थी. इसके बारे में जैसे ही माओ को पता चला तो उसने तुरंत अपने डॉक्टर को बुलवा लिया. डॉक्टर ने आकर फिर से उनकी अंगुली का इलाज कर नई पट्टी बांधी.
चीन के तानाशाह माओ की भारत के प्रति अच्छी सोच नहीं है यह बात सभी को पता थी. साल 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया. इसके लिए माओ ने दो साल पहले ही साजिश शुरू कर दी थी. इस बारे में उसने अमेरिका तक से पूछ लिया था. First Updated : Tuesday, 26 December 2023