मराठी, बंगाली समेत पांच नई भाषाओं को मिली शास्त्रीय भाषा का दर्जा, मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी
Modi Cabinet: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को पांच और भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषा की सूची में शामिल कर लिया है. मोदी कैबिनेट ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान कर दिया है. इसी के साथ अब मान्यता प्राप्त शास्त्रीय भाषाओं की संख्या बढ़कर ग्यारह हो गई है.
Classical Language: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को पांच नई भाषाओं को शास्त्रीय भाषा की सूची में शामिल किया है. मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला भाषाओं को अब शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दे दी गई है. मंत्रिमंडल ने केंद्र की भाषा विशेषज्ञ समिति के अंतर्गत शास्त्रीय भाषाओं के लिए पात्रता मानदंड को भी अद्यतन किया. ये वो शास्त्रीय भाषाएं हैं जो समृद्ध हैं और भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को अपने में संजोए हुए प्रत्येक समुदाय को ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्वरूप प्रदान करती हैं.
कैबिनेट के इस फैसले से मान्यता प्राप्त शास्त्रीय भाषाओं की संख्या छह से बढ़कर ग्यारह हो गई है. पहले मान्यता प्राप्त भाषाओं में तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया शामिल थीं, जो 2014 में क्लब में शामिल होने वाली आखिरी भाषा थी.
मोदी कैबिनेट का ऐतिहासिक कदम
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस 'ऐतिहासिक' कदम का उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है.' उन्होंने कहा, 'अब तक अधिसूचित शास्त्रीय भाषाओं में तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया शामिल थीं. इन भाषाओं को पहले से ही शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता दी गई थी. नए प्रस्तावों की इसी ढांचे के भीतर जांच की गई है और भविष्य के किसी भी प्रस्ताव का भी उचित वैज्ञानिक साक्ष्य, शोध और ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर उसी तरीके से मूल्यांकन किया जाएगा.'
PM मोदी ने निर्णय की सराहना की
PM मोदी ने इस फैसले की सराहना की है उन्होंने एक्स पर लिखा, 'हमारी सरकार भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को संजोती है और उसका जश्न मनाती है. हम क्षेत्रीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाने की अपनी प्रतिबद्धता में भी अडिग रहे हैं. मुझे बेहद खुशी है कि कैबिनेट ने फैसला किया है कि असमिया, बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया जाएगा. उनमें से प्रत्येक सुंदर भाषा है, जो हमारी जीवंत विविधता को उजागर करती है.सभी को बधाई.'
शास्त्रीय भाषाएं क्या है
बता दें कि केंद्र सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को 'शास्त्रीय भाषाओं' की श्रेणी की स्थापना की थी. शास्त्रीय भाषाएं आमतौर पर विलुप्त भाषाएं होती हैं जो भाषाएं आज भी उपयोग में हैं. शास्त्रीय भाषाएं उन क्षेत्रों में अत्यधिक द्विभाषिक विशेषताएं दिखाती हैं जहां उनका उपयोग किया जाता है, क्योंकि समय के साथ बोली जाने वाली और लिखित भाषा के बीच का अंतर बढ़ गया है. शास्त्रीय भाषा वह भाषा है जिसकी एक स्वतंत्र साहित्यिक परंपरा हो और जिसमें प्राचीन लिखित साहित्य का एक बड़ा भंडार हो.