मायावती ने अपने भतीजे को फिर चुना उत्तराधिकारी, बनाया BSP का राष्ट्रीय संयोजक
Mayawati: बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को फिर से अपने भतीजे को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है. लखनऊ में बसपा के सभी प्रदेश प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया है. इस बैठक के दौरान आकाश आनंद ने बुआ मायावती का पैर छूकर आशीर्वाद लिया. इस दौरान मायावती ने अपने भतीजे के सिर पर प्यार से हाथ रखकर दुलारा और पीठ थपथपाई.
Mayawati: बसपा की प्रमुख मायावती ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है. उन्होंने एक बार फिर से आकाश पर विश्वास जताते हुए राष्ट्रीय संयोजक का पद उन्हें दे दिया है. यही नहीं उन्हें दोबारा अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी भी घोषित किया है.रविवार को मायावती ने पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई थी. बैठक के शुरुआत में बसपा सुप्रीमो ने अपने भतीजे के सिर पर हाथ रखा था, जिसके बाद से कयास लगने शुरू हो गए थे कि वह कोई बड़ा फैसला लेने वाली हैं.
बता दें कि,लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी और उनके म्चेओर होने तक पार्टी पद से हटा दिया था. वहीं मयावती ने फिर से अपने भतीजे को BSP का राष्ट्रीय संयोजक बनाया है.
आदरणीय ‘बहनजी’ ने ‘आकाश आनंद’ जी को फिर से नेशनल कोऑर्डिनेटर और उत्तराधिकारी घोषित किया।
— Pratik (@PratikManav) June 23, 2024
राष्ट्रीय स्तर पर आज भी बसपा तिसरी सबसे बडी पार्टी हैं.@Mayawati @bspindia@AnandAkash_BSP #BSP will bounce back♥️ pic.twitter.com/AMUmI7WDw1
आकाश आनंद को पद से क्यों हटाया गया था
मायावती ने अपने भतीजे को हटाने का फैसला तब लिया जब आकाश आनंद के आक्रामक भाषण को लेकर उनकी आलोचना हो रही थी. आकाश आनंद ने केंद्र सरकार को आतंकवादियों की सरकार कह दिया था जिसकी वजह से उनके खिलाफ सीतापुर में एफआईआर दर्ज की गई. उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा था, "यह सरकार एक बुलडोजर सरकार और गद्दारों की सरकार है. जो पार्टी अपने युवाओं को भूखा छोड़ देती है और अपने बुजुर्गों को गुलाम बना लेती है, वह एक आतंकवादी सरकार है. तालिबान अफगानिस्तान में ऐसी सरकार चलाता है.
बसपा की अहम बैठक के बारे में
बसपा सुप्रीमो ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की समीक्षा के लिए रविवार को एक बैठक बुलाई. बसपा कार्यालय में होने वाली बैठक में मुख्य रूप से इस बात पर चर्चा होगी कि पार्टी देश में आम चुनाव में एक भी सीट क्यों नहीं जीत सकी. आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में हालात कैसे बेहतर हो सकते हैं, इस पर भी चर्चा होगी. बद्रीनाथ और मंगलौर सीटों पर विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान 10 जुलाई को होगा. कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के इस्तीफा देने और भाजपा में शामिल होने के बाद बद्रीनाथ सीट खाली हो गई थी. मंगलौर सीट बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के बाद खाली हुई थी.