Mayawati Birthday Special: 69 साल की हुईं दलित समाज की बहनजी, जानें कैसे चार बार बनीं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री

Mayawati Birthday: मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली में हुआ. एक साधारण दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाली मायावती ने शिक्षा को अपनी ताकत बनाकर राजनीति में कदम रखा. उन्हें भारतीय राजनीति में बहनजी के नाम से जाना जाता है. वे चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं.

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Mayawati Birthday: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती आज 69 साल की हो गई हैं. 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के सुचेता कृपलानी अस्पताल में जन्मीं मायावती, भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने कठिन परिस्थितियों से निकलकर अपना अलग मुकाम बनाया. गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर में एक साधारण दलित परिवार में जन्मी मायावती ने शिक्षा और संघर्ष को अपना हथियार बनाकर न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया.

मायावती के पिता प्रभु दास एक पोस्ट ऑफिस कर्मचारी थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से कला में स्नातक के रूप में पूरी की. इसके बाद एलएलबी और बी.एड की डिग्री हासिल की. मायावती का सपना IAS अधिकारी बनने का था और उन्होंने इसके लिए मेहनत भी की.

कांशीराम से मुलाकात के बादला जीवन

1977 में दलित नेता कांशीराम से मिलने के बाद मायावती का जीवन बदल गया. कांशीराम के मार्गदर्शन में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 1984 में बसपा के गठन के साथ ही सक्रिय राजनीति का हिस्सा बन गईं.

चुनावी संघर्ष और जीत की शुरुआत

1984 में उन्होंने कैराना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं. इसके बाद बिजनौर और हरिद्वार से भी चुनाव लड़ा. आखिरकार 1989 में बिजनौर से लोकसभा सांसद चुनी गईं. यही वह पल था जब मायावती ने भारतीय राजनीति में अपनी छाप छोड़नी शुरू की.

चार बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं मायावती

1995 में पहली बार मायावती ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उस समय वे सिर्फ 39 साल की थीं. इसके बाद 1997, 2002 और 2007 में भी उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. 2007 में उन्होंने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई, जो बसपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी.

राजा भैया प्रकरण और गेस्ट हाउस कांड

2002 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती ने राजा भैया और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाकर उन्हें जेल भेजा. वहीं, 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड के बाद उनकी राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए.

2012 के बाद बसपा का पतन

2007 में सत्ता में आई बसपा 2012 में विपक्ष के आरोपों और पार्क निर्माण विवादों के चलते सत्ता से बाहर हो गई. इसके बाद बसपा का ग्राफ गिरता गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली. 2019 में बसपा ने सपा के साथ गठबंधन किया, लेकिन यह चुनावी समीकरण भी बसपा को राजनीतिक मजबूती नहीं दे पाया. First Updated : Wednesday, 15 January 2025