महबूबा मुफ्ती का दोहरा मापदंड: नसरल्लाह की मौत पर आंसू, बांग्लादेशी हिंदुओं पर चुप्पी

महबूबा मुफ्ती ने हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत पर गहरा दुख जताया और अपनी चुनावी रैली रद्द कर दी. लेकिन बीजेपी ने उन पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी यह सहानुभूति सिर्फ दिखावा है, क्योंकि पिछले महीने जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे थे तब वे चुप थीं. जानिए महबूबा की चुप्पी के पीछे का सच क्या है और बीजेपी का आरोप किस हद तक सही है!

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Mehbooba Politics: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया. उन्होंने अपनी चुनावी रैली को रद्द करते हुए कहा कि वे लेबनान और गाजा के शहीदों, खासकर नसरल्लाह के साथ एकजुटता दिखाने के लिए ऐसा कर रही हैं. लेकिन यह सब बीजेपी के लिए एक नया विवाद बन गया है.

भाजपा नेताओं का आरोप है कि महबूबा का यह व्यवहार केवल दिखावा है. भाजपा के कविन्द्र गुप्ता ने कहा कि महबूबा मुफ्ती पिछले महीने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के बारे में चुप थीं. उन्होंने कहा, 'अगर उन्हें सच में मानवता की चिंता होती तो वे तब भी आवाज उठातीं. लेकिन जब नसरल्लाह की बात आती है तो वे आंसू बहाने लगती हैं. यह सब सिर्फ वोट पाने के लिए किया जा रहा है.'

अल्ताफ ठाकुर का बयान: तुष्टिकरण की राजनीति

महबूबा के इस बयान के पीछे की मंशा को लेकर भाजपा नेता अल्ताफ ठाकुर ने भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि महबूबा सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं और धार्मिक कार्ड खेल रही हैं. ठाकुर ने यह भी कहा कि दुनिया में कहीं भी युद्ध नहीं होना चाहिए लेकिन महबूबा इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही हैं.

महबूबा का सोशल मीडिया पोस्ट

महबूबा ने सोशल मीडिया पर अपने एक पोस्ट में लिखा कि वे फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों के साथ खड़ी हैं. उनकी इस भावनात्मक अपील ने कुछ लोगों का दिल जीता लेकिन बीजेपी ने इसे दिखावटी बताया. पार्टी का कहना है कि महबूबा की सहानुभूति केवल चुनावी लाभ के लिए है और उनकी चुप्पी तब खड़ी होती है जब हिंदुओं पर अत्याचार होते हैं.

नसरल्लाह की मौत का प्रभाव

लेबनान के बेरूत में इजरायली हवाई हमलों में नसरल्लाह की मौत हुई थी, जो कि एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है. इस पर जम्मू-कश्मीर में भी लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन महबूबा की सक्रियता और चुप्पी को लेकर बीजेपी का हमला जारी है.

यह मामला दिखाता है कि राजनीतिक वक्ताओं के बयानों में कितनी गहराई होती है और वे किस तरह से चुनावी फायदे के लिए मुद्दों का उपयोग करते हैं. महबूबा के बयान और बीजेपी की प्रतिक्रिया से यह साफ होता है कि राजनीति में भावनाएं और मानवता किस तरह से गढ़ी जाती हैं. क्या महबूबा आगे भी इसी तरह की बयानबाजी करती रहेंगी या उनकी चुप्पी फिर से लौटेगी? इस सवाल का जवाब सिर्फ समय ही दे सकता है. First Updated : Sunday, 29 September 2024