MGR Death Anniversary : एमजी रामचंद्रन का पूरा नाम था मरुदुर गोपालन रामचंद्रन पर वह एमजीआर या एमजी रामचंद्रन के नाम से प्रसिद्ध जैने जाते हैं. रामचंद्रन का जन्म 17 जनवरी को श्रीलंका में हुआ, लेकिन उनकी कर्मभूमि भारत रही. दक्षिण की फिल्मों के सुपरस्टार रहे एजीआर जब राजनीति में आए यहां भी उनको अच्छा रुतबा और चाहने वाले लोग मिले. लोगों ने उनसे इस कदर मोहब्बत की कि उनके निधन पर समर्थकों ने आत्मदाह कर लिया और कई ने तो जहर खाया लिया, कुछ ने नसें तक काट लीं. आज हम बात कर रहे हैं एमजीआर यानी एमजी रामचंद्रन की, जिनकी आज 24 दिसंबर को पुण्यतिथि है.
एमजी रामचंद्रन का पूरा नाम मरुदुर गोपालन रामचंद्रन छा लेकिन उनको हमेशा एमजी रामचंद्रन के नाम से जाना गया. उनका जन्म 17 जनवरी को श्रीलंका में हुआ, लेकिन उनकी कर्मभूमि भारत बनी. दक्षिण की फिल्मों के एक और सुपरस्टार व दिग्गज राजनीतिज्ञ एम करुणानिधि, एमजीआर के पक्के दोस्त थे. हालांकि, राजनीति ने कुछ ऐसा चक्र चलाया कि दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन गए.
एमजीआर और करुणानिधि को साथ लाने वाली फिल्में थीं. एमजीआर फिल्मों में अभिनय करते थे तो करुणानिधि स्क्रिप्ट लेखक थे. फिल्मों के इतिहास से पता चलता है कि एमजीआर के लिए करुणानिधि ने नौ फिल्में लिखीं थीं. इनमें में 1950 के दशक की फिल्म मंतिरी कुमार ने अभिनेता के रूप में एमजीआर को खूब प्रसिद्धि दिलाई. इससे दोनों की दोस्ती भी गहरी होती चली गई.
साल 1952 में तमिल फिल्म पराशक्ति बनी. इस फिल्म में ब्राह्मणवाद का जोरदार विरोध दिखाया गया था, जिससे राजनीतिक दल द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम यानी डीएमके की विचारधारा काफी मेल खाती थी. वैसे तो शुरू में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया, लेकिन जब यह रिलीज हुई तो करुणानिधि को काफी राजनीतिक फायदा मिला. वहीं, रामचंद्रन गरीबों के मसीहा के रूप में सामने आ रहे थे. भले ही फिल्मी दुनिया के इन दो दिग्गजों में गहरी दोस्ती थी पर दोनों अलग-अलग राजनीतिक दलों से जुड़े थे. करुणानिधि डीएमके में आगे बढ़ रहे थे तो रामचंद्रन कांग्रेस से जुड़े थे.
एमजीआर महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे और उन्हीं की राह पर चलते थे. 1953 में कांग्रेस से उनका नाता टूट गया. महात्मा गांधी के बाद एमजीआर, डीएमके के संस्थापक सीएन अन्नादुरई की विचारधारा को भी पसंद करते थे और यह बात करुणानिधि को पता थी. इसी बात को लेकर जब एमजीआर ने कांग्रेस से नाता तोड़ा तो करुणानिधि ने उन्हें डीएमके में शामिल होने के लिए मना लिया. इससे करुणानिधि को एक और बड़ा फायदा मिला. एमजीआर के प्रशंसक भी डीएमके से जुड़ने लगे और देखते ही देखते एमजीआर डीएमके का सबसे अहम चेहरा बन गए.
तमिलनाडु में 1969 में अन्नादुरई की अगुवाई में डीएमके की सरकार बनी. लेकिन अन्नादुरई 18 महीने तक ही मुख्यमंत्री रह पाए और उनका निधन हो गया. तब एमजीआर को पार्टी का कोषाध्यक्ष बना दिया गया, जिन्होंने अपने दोस्त करुणानिधि को मुख्यमंत्री बनाया. वो कहते हैं न कि दोस्त पर आए संकट को देखकर दोस्त दुखी होता है पर वही दोस्त अगर आगे निकल जाए तो मन में जलन भी होती है.
करुणानिधि को लगता था कि भले ही वह मुख्यमंत्री हैं पर एमजीआर को लोग ज्यादा पसंद करते हैं.इसीलिए तमिल फिल्मों में एमजीआर को टक्कर देने के लिए करुणानिधि ने अपने बेटे एमके मुत्तु को भी लॉन्च कर दिया. यही वह दौर था, जब एमजीआर ने आरोप लगाया कि करुणानिधि पार्टी की विचारधारा से हट रहे हैं. इस पर करुणानिधि ने उन्हीं को पार्टी से अलग करने का प्रयास किया और अप्रत्यक्ष रूप से सफल भी रहे, क्योंकि कुछ ही समय बाद एमजीआर ने डीएमके छोड़ दी.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन की 24 दिसंबर 1987 को कार्डियक अरेस्ट के कारण मौत हो गई. इसके बाद प्रदेश में हाहाकार मच गया. एमजीआर के प्रशंसकों ने खुदकुशी करनी शुरू कर दी. कई लोगों ने आत्मदाह तक कर लिया. कुछ ने जहर खाकर जान दे दी. कई प्रशंसकों ने अपनी नसें काटकर जान दे दी. एक आंकड़े के मुताबिक रामचंद्रन की मौत से आहत कम से कम 30 लोगों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी. First Updated : Sunday, 24 December 2023