अयोध्यानामा : बाबरी मस्जिद विध्वंस पर PM के सामने रोने लगे थे मंत्री, बाद में बने कांग्रेस अध्यक्ष

Ayodhyanama : गुलाम नबी आजाद अपनी आत्मकथा "आजाद" में लिखते हैं कि 6 दिसंबर को जब अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बारे में सुना तो मैंने फौरन पीएम और गृह मंत्री से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन दोनों से बात नहीं हो पाई.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो चुका है और 22 जनवरी को रामलला मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. मंदिर के स्थान पर विवादित ढांचे के अवशेष समाप्त हो चुके हैं. आज हम आपको एक ऐसे मंत्री की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो बाबरी मस्जिद के गिराए जाने पर प्रधानमंत्री के सामने जाकर रोने लगे थे.    

6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचा गिराया गया तब पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao) प्रधानमंत्री थे. सुबह जब कारसेवक अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचे की तरफ बढ़ने लगे तो राव कैबिनेट के कुछ मंत्रियों ने उनसे संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन प्रधानमंत्री से संपर्क ही नहीं हो सका. गुलाम नबी आजाद अपनी आत्मकथा "आजाद" में लिखते हैं कि 6 दिसंबर को जब अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बारे में सुना तो मैंने फौरन पीएम और गृह मंत्री से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन दोनों से बात नहीं हो पाई.

PM ने दिलवाया आजाद से बयान

गुलाम नबी आजाद आगे लिखते हैं कि बाबरी ढांचा ढहने के बाद उसी शाम कैबिनेट की मीटिंग बुलाई गई. प्रधानमंत्री राव ने मुझसे कहा कि चूंकि मैं संसदीय कार्य मंत्री हूं, इस नाते में संसद को सूचित कर दूं गृहमंत्री चव्हाण इस्तीफा देंगे. बकौल आजाद, मैंने संसद को वैसा ही सूचित किया जैसा पीएम से निर्देश मिला था. गृहमंत्री के इस्तीफे के आश्वासन के बाद हंगामा कर रहीं लेफ्ट समेत कई पार्टियों का मुंह कुछ दिनों के लिए बंद हो गया. लेकिन गृह मंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया.

आखिर गृहमंत्री का इस्तीफा नहीं हुआ

आजाद ने अपनी किताब में लिखा, 'सब गृहमंत्री के इस्तीफे का इंतजार करते रहे थे. बाद में नरसिम्हा राव ने मुझसे कहा कि इस्तीफा भूल जाएं. वह लिखते हैं कि पीएम के हावभाव से स्पष्ट था कि वो चौहान का इस्तीफा नहीं चाहते थे, बल्कि उस वक्त लोगों का गुस्सा शांत कराने के लिए मुझसे ऐसा बयान दिलवा गया था. "आजाद ने लिखा- ”प्रधानमंत्री राव ने जब मुझसे ऐसा कहा तो उनका एक चर्चित डायलॉग याद आया. वो कहते थे- ‘नॉट टेकिंग ए डिसीजन इज ऑलसो ए डिसीजन” यानी कोई फैसला न लेना भी एक फैसला है…”

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बाबरी विध्वंस का फाइल फोटो.

 

कौन फूट-फूटकर रोने लगा था?

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद उसी शाम कैबिनेट की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव समेत रक्षा मंत्री शरद पवार, विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी, वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जैसे मंत्री मौजूद थे. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी अपनी किताब "प्रणब माई फादर : अ डॉटर रिमेंम्बर्स” में लिखती हैं कि उस मीटिंग में समाज कल्याण मंत्री सीताराम केसरी फूट-फूटकर रोने लगे थे.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब में लिखा कि केसरी को रोता देख मेरे पिता ने उन्हें चुप कराया और कहा कि इस तरह की चीजों की कोई जरूरत नहीं है. ज्यादा मेलोड्रैमेटिक होने की आवश्यकता नहीं है. हम सब कैबिनेट के सदस्य और कैबिनेट कमिटी ऑन पॉलीटिकल अफेयर्स के भी सदस्य हैं, इसलिए इस मामले में सब की जिम्मेदारी बनती है. सिर्फ पीएम या गृह मंत्री को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं. आपको बता दें, सीताराम केसरी लंबे वक्त तक कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे और आगे चलकर पार्टी के अध्यक्ष भी बने.


राव ने रक्षा मंत्री की बात भी नहीं मानी

राव कैबिनेट में रक्षा मंत्री रहे शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में 6 दिसंबर 1992 की घटना का विस्तार से ब्यौरा दिया है. पवार ने अपनी किताब, ”अपनी शर्तों पर: जमीनी हकीकत से सत्ता के गलियारे तक” में लिखा, "मुझे अयोध्या में किसी अनहोनी की आशंका पहले से थी, इसलिए मैं पहले गृह मंत्री चव्हाण के पास गया और फिर प्रधानमंत्री के पास. मैंने उनसे अयोध्या में सेना की टुकड़ी भेजने की बात कही. पीएम ने फौरन मेरी मांग खारिज कर दी".

पवार लिखते हैं कि नरसिम्हा राव को राजमाता विजया राजे सिंधिया समेत भाजपा के कुछ नेताओं ने आश्वासन दिया था कि अयोध्या में कुछ गड़बड़ नहीं होगी और उन्हें इस बात का पक्का यकीन भी था. शरद पवार आगे लिखते हैं कि जब बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद उसी शाम कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई तो उस मीटिंग में नरसिम्हा राव बिल्कुल चुप थे. गृह सचिव माधव गोडबोले अयोध्या में हुई घटना का पूरा ब्यौरा दे रहे थे और राव आकाश की तरफ देख रहे थे.

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11 January 2024, 12:01 PM IST

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