Aligarh Muslim University पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: क्या मिलेगा अल्पसंख्यक का दर्जा?

Aligarh Muslim University :केंद्र सरकार ने इस मामले की सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) को अल्पसंख्यक दर्जा देना उचित नहीं है। पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय की पीठ ने इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रखा था।

Lalit Sharma
Lalit Sharma

Aligarh Muslim University : (AMU) को अल्पसंख्यक दर्जा देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था। केंद्र सरकार ने अपनी दलीलों में कहा था कि AMU को अल्पसंख्यक संस्थान की श्रेणी में रखना उचित नहीं है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले सुनवाई के दौरान अपना फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट में प्रमुख सवाल यह था कि क्या संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत AMU को अल्पसंख्यक का दर्जा मिले. अनुच्छेद 30 के अनुसार, धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को अपने शिक्षा संस्थान स्थापित करने और उसका प्रबंधन करने का अधिकार है।

संस्थान की स्थापना और सरकारी तंत्र का हिस्सा बनने में अंतर

CJI ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी संस्थान को स्थापित करने और उसके सरकारी तंत्र का हिस्सा बन जाने में अंतर होता है। उनके अनुसार, अनुच्छेद 30(1) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित संस्थान उनके ही द्वारा प्रशासित हों। चाहे कोई शैक्षणिक संस्था संविधान लागू होने से पहले बनी हो या बाद में, इसका उसके दर्जा पर कोई असर नहीं पड़ता।

संस्थान का अल्पसंख्यक दर्जा कैसे तय किया जाए?

CJI ने अपने बयान में यह भी कहा कि यह मुमकिन है कि अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा स्थापित एक संस्थान उनके ही द्वारा संचालित न हो, बल्कि उसे कोई और संस्था चलाए। कोर्ट के लिए यह अहम सवाल था कि किसी संस्थान को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का आधार क्या होना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भाषायी, सांस्कृतिक या धार्मिक अल्पसंख्यक अपने लिए अनुच्छेद 30 के तहत संस्थान बना सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसे संस्थान पूरी तरह सरकारी नियमन से मुक्त होंगे।

AMU को अल्पसंख्यक दर्जा देने का विरोध और सरकारी अनुदान का मुद्दा

AMU को अल्पसंख्यक दर्जा देने का विरोध करने वाले एक वकील ने दावा किया कि 2019 से 2023 के बीच AMU को केंद्र सरकार से 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान मिला है, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों को मिले धन से लगभग दोगुना है। इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जब एक संस्थान को इतने बड़े पैमाने पर सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, तो उसे अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में मान्यता देना उचित नहीं हो सकता।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आठ दिन तक विस्तृत दलीलें सुनने के बाद 1 फरवरी 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा कि 1981 में किए गए संशोधन ने AMU अधिनियम में आंशिक बदलाव किए थे, लेकिन संस्थान को 1951 से पहले की स्थिति में बहाल नहीं किया गया था। 1981 के संशोधन के बाद AMU को अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त हुआ था, जो कि इसे विशेष अधिकार देता है।

कोर्ट का निर्णय स्पष्ट करेगा मामला

अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करने वाली है कि AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया जाए या नहीं। इस फैसले का महत्व सिर्फ AMU तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन सभी संस्थानों के लिए मिसाल बनेगा जो अल्पसंख्यक दर्जे की मांग कर रहे हैं। कोर्ट का निर्णय स्पष्ट करेगा कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा स्थापित और संचालित संस्थानों का भविष्य क्या होगा।

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08 November 2024, 11:27 AM IST

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