PM मोदी का बड़ा फैसला: दागी अधिकारियों को मिलेगा रिटायरमेंट का नोटिस!

प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्ट और आलसी अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी है. उन्होंने केंद्रीय सचिवों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे कर्मचारियों का कठोर मूल्यांकन कर उन्हें अनिवार्य रूप से रिटायर किया जाए. मोदी का कहना है कि लोगों की शिकायतों का त्वरित समाधान होना चाहिए और काम में तेजी लाने की आवश्यकता है. क्या यह कदम सरकारी व्यवस्था में सच में सुधार लाएगा? जानिए पूरी खबर!

JBT Desk
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PM Modi Big Decision: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार और आलस्य के खिलाफ एक ठोस कदम उठाने का फैसला किया है. उन्होंने केंद्रीय सचिवों को निर्देश दिया है कि वे उन कर्मचारियों और अधिकारियों का कठोर मूल्यांकन करें, जो अपने काम में नकारात्मक प्रदर्शन कर रहे हैं या भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. इसके तहत ऐसे अधिकारियों को अनिवार्य रूप से रिटायर करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

मोदी का स्पष्ट संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि देश की जनता को बेहतर सेवाएं मिलनी चाहिए और इसके लिए अधिकारियों की कार्यप्रणाली में सुधार आवश्यक है. उन्होंने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हालिया चुनावी सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि जन शिकायतों का त्वरित समाधान और बेहतर शासन प्राथमिकता होनी चाहिए. उनका मानना है कि केवल फाइलों को एक डेस्क से दूसरी डेस्क पर धकेलने से काम नहीं चलेगा, बल्कि जनहित में त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता है.

शिकायतों का समाधान प्राथमिकता

मोदी ने शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों को भी यह निर्देश दिया कि वे जन शिकायतों का समाधान प्राथमिकता से करें. उन्होंने कहा कि हर सचिव को हर सप्ताह एक दिन जन शिकायतों के समाधान के लिए समर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही राज्य मंत्रियों को भी इन शिकायतों की निगरानी करनी चाहिए, ताकि कोई मामला लंबित न रहे.

आंकड़ों का महत्व

प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में पीएमओ को प्राप्त हुई शिकायतों के आंकड़े साझा किए. उन्होंने बताया कि पीएमओ को 4.5 करोड़ पत्र मिले, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के अंतिम पांच वर्षों में केवल 5 लाख पत्र प्राप्त हुए. इस तुलना से यह स्पष्ट होता है कि लोग अब शिकायतों के निवारण के प्रति अधिक आशावान हैं. मोदी ने बताया कि इनमें से लगभग 40 प्रतिशत मामले केंद्र सरकार के विभागों से संबंधित हैं, जबकि 60 प्रतिशत राज्य सरकार के मामलों से हैं.

प्रधानमंत्री की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहल न केवल प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के खिलाफ एक सख्त संदेश भी है. उम्मीद की जा रही है कि इस निर्णय से सरकारी कामकाज में तेजी आएगी और जनता को बेहतर सेवाएं मिलेंगी. भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई प्रशासन में एक नई स्फूर्ति लाने की दिशा में है, जिससे आम नागरिकों को अधिक आशा और विश्वास मिलेगा. 

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12 October 2024, 05:01 PM IST

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