पेट्रोल-डीजल पर टैक्स क्यों बढ़ाया मोदी सरकार ने? जानिए इसका असली कारण

हाल ही में मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया. ऐसा क्यों हुआ जबकि कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं? क्या ये कदम आम जनता के लिए राहत का कारण बनेगा या और मुश्किलें खड़ी करेगा? जानिए सरकार के इस फैसले के पीछे का असली प्लान और क्या इसके दूरगामी असर हो सकते हैं!पढ़ें पूरी खबर और जानें इसके पीछे का सच!

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Edited By: Aprajita

Petrol Diesel Tax Hike: भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव होते रहते हैं और अब मोदी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में इजाफा करने का फैसला लिया है. इस कदम ने कई सवाल उठाए हैं कि क्यों सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाया, जबकि कच्चे तेल की कीमतें घट रही हैं. आइए जानते हैं कि इस फैसले के पीछे सरकार का क्या प्लान हो सकता है और इसका क्या असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा.

एक्साइज ड्यूटी क्यों बढ़ी?

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी का ऐलान किया. यह कदम ऐसे समय पर लिया गया है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घट रही हैं. हालांकि मंत्री ने साफ किया कि इसका असर आम जनता पर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह सवाल फिर भी उठता है कि सरकार ने ऐसा कदम क्यों उठाया.

क्या है बढ़ी हुई ड्यूटी का उद्देश्य?

सरकार ने यह बढ़ोतरी केंद्रीय बजट 2025 में दी गई कर राहत के बाद सरकारी रेवेन्यू बढ़ाने के लिए की है. वित्तीय संसाधनों का सही इस्तेमाल करने के लिए सरकार को अपने बजट की स्थिरता बनाए रखने की जरूरत है. इसके अलावा, यह बढ़ी हुई ड्यूटी एलपीजी कंपनियों के घाटे को कवर करने में मदद करेगी.

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर?

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें जनवरी में 83 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंची थीं, जो अब 20 डॉलर घट चुकी हैं. इससे उम्मीद थी कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दरअसल, सरकार ने कच्चे तेल की कीमतों का फायदा आम लोगों को नहीं दिया है. यही नहीं, 2020 में जब कच्चे तेल की कीमतें शून्य से भी नीचे चली गई थीं, तब भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं की गई थीं.

क्या इतिहास से कुछ सीख मिल रही है?

अगर इतिहास को देखें, तो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कई बार बढ़ोतरी की गई थी. नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच, सरकार ने कच्चे तेल की गिरती कीमतों का फायदा उठाकर पेट्रोल पर 11.77 रुपये और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी. इससे सरकार को बड़ी रकम मिली, लेकिन आम जनता पर इसका असर पड़ा. बाद में सरकार ने कुछ कटौती भी की लेकिन यह स्पष्ट है कि जब तक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट नहीं होती तब तक सरकार अपने रेवेन्यू के लिए ऐसे कदम उठाती रहेगी.

क्या आम आदमी को इसका असर पड़ेगा?

जैसा कि मंत्री पुरी ने कहा, यह बढ़ोतरी सीधे तौर पर आम जनता की जेब पर असर नहीं डालेगी लेकिन इसे LPG के दामों में बढ़ोतरी के रूप में महसूस किया जा सकता है. अगले दिन से, लोगों को LPG सिलेंडर के लिए 50 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे.

सरकार का यह कदम दिखाता है कि तेल की कीमतों के घटने के बावजूद, वित्तीय प्रबंधन के लिए एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई जा रही है. सरकार को अपनी वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं और यही कारण है कि पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाया गया है. हालांकि सरकार की कोशिश यह है कि इसका भार आम लोगों पर न पड़े, फिर भी LPG की बढ़ी हुई कीमतें इसका संकेत देती हैं कि सरकार इस बढ़ी हुई ड्यूटी का इस्तेमाल अपने वित्तीय घाटे को भरने में करेगी.

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08 April 2025, 09:09 AM IST

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