कृषि कानूनों के विरोध के बीच केंद्र का बड़ा कदम, किसानों के कल्याण के लिए शुरू की कई योजनाएं
Modi government: मोदी सरकार द्वारा लाई गई कृषि नीतियों को लेकर देश भर के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में नहीं है. वहीं सरकार का कहना है कि इसे कानून के जरिए भारत के किसानों को आधुनिक बनाने में मदद करेगा. इस बीच केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम को लागू कर रही है जिससे किसानों को फायदा मिलेगा.
Modi government: मोदी सरकार द्वारा लाई गई कृषि नीतियों को लेकर किसान कब से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. मोदी सरकार की इस नीति को लेकर किसानों का कहना है कि ये नीति किसानों के हित में नहीं है. 2020 से ही किसान केंद्र की इस नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं. हालांकि, इसको लेकर सरकार का कहना है कि ये कानून कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए बनाए गए हैं. उनका दावा है कि ये सुधार किसानों को ज्यादा लचीलापन और बेहतर बाजार पहुंच प्रदान करेंगे. इस बीच अब किसानों के हित के लिए केंद्र ने कई योजनाएं शुरू की है तो चलिए इन योजनाओं के बारे में जानते हैं.
सरकार ने किसानों की मदद के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं जिसमें कृषि उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए ₹13,966 करोड़ की योजना भी शामिल है. इस योजना में प्रौद्योगिकी और डेटा-संचालित कृषि पद्धतियों में निवेश शामिल है. इसके अलावा एक और कृषि योजना है जो कृषि अवसंरचना कोष है. इस योजना का उद्देश्य भंडारण सुविधाओं में सुधार करना और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है. इस योजना के लिए 3,979 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया है जो भारत के कृषि क्षेत्र को बढ़ाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है.
प्रौद्योगिकी प्रगति
प्रौद्योगिकी प्रगति के जरिए सरकार किसानों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत कर रही है. इस योजना के जरिए खेती में निर्णय लेने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाना है. ये प्लेटफॉर्म किसानों को फसल प्रबंधन और बाजार तक पहुंच के बारे में जानकारी देगा. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने किसानों को सीधे बैंक खाते में वित्तीय सहायता देने के लिए पीएम-किसान जैसी योजनाएं भी शुरू की हुई है जिसका लाभ किसान उठा रहे हैं.
शैक्षिक सहायता
मोदी सरकार किसानों के हित के लिए शिक्षा कौशल विकास पर ध्यान दे रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार ने 2,291 करोड़ रुपये की योजना तैयार की है. इस योजना के तहत सरकार कृषि शिक्षा और प्रबंधन प्रथाओं में सुधार करने पर काम करेगी. सरकार ने इस योजना के जरिए किसानों को बदलती कृषि आवश्यकताओं के अनुकूल होने के लिए आवश्यक ज्ञान से लैस करने के लिए डिजाइन किया गया है.
टिकाऊ कृषि पद्धतियां
सरकार द्वारा शुरू की गई नई योजनाओं में टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ावा देने वाली योजनाएं भी शामिल हैं. इस योजना के लिए भारत सरकार ने 860 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है. सरकार की ये योजना उच्च उपज वाली फसल किस्मों को विकसित करने पर केंद्रित है. इस योजना के तहत सरकार का उद्देश्य भारतीय कृषि में उत्पादकता और स्थिरता दोनों को बढ़ाना है.
किसानों के हित में हैं योजनाएं- केंद्र सरकार
लगातार विरोध और आलोचना के बावजूद, सरकार का कहना है कि उसकी नीतियां मूल रूप से किसानों के हित में हैं. उनका तर्क है कि इन सुधारों से किसानों को लाभ मिलेगा. सरकार का कहना है कि इन योजनाओं से किसानों को बेहतर अवसर और संसाधन मिलेंगे. इस बात पर बहस जारी है कि क्या ये नीतियां वास्तव में किसान विरोधी हैं या नहीं.
कृषि कानून विवाद
कृषि क्षेत्र को उदार बनाने के लिए बनाए गए तीन कृषि कानूनों को शुरू में सरकार ने किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम के रूप में पेश किया था. इन कानूनों का उद्देश्य किसानों को विनियमित एपीएमसी बाजारों के बाहर अपनी उपज बेचने की अनुमति देना, अनुबंध खेती को सक्षम बनाना और आवश्यक वस्तुओं पर स्टॉक होल्डिंग सीमा को हटाना था. इन तीनों कानून के जरिए केंद्र सरकार किसानों को अधिक बाजार पहुंच और मूल्य निर्धारण लचीलापन प्रदान करने के उद्देश्य से पेश किया था. हालांकि, किसानों ने इस कानून का कड़ा विरोध किया.
कृषि कानून का क्यों विरोध कर रहें किसान
मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को लेकर आलोचकों का कहना है कि नए कानून छोटे किसानों के बजाय कॉरपोरेट को तरजीह देते हैं. उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली के खत्म होने का डर है, जिसके बारे में उनका मानना है कि इससे किसान बड़ी कंपनियों की दया पर निर्भर हो जाएंगे. इस लंबे समय से चल रहे आंदोलन ने सरकार और कृषक समुदाय के बीच एक महत्वपूर्ण विभाजन पैदा कर दिया है. दूसरी ओर, समर्थकों का कहना है कि यह कानून भारतीय किसानों को आधुनिक बनाने के लिए बेहद जरूर है.समर्थकों का कहना है कि विपक्ष ने इस कानून के बारे में किसानों को गलत जानकारी दी जिसकी वजह से किसानों ने इसका विरोध कर रहे हैं.