Modi Government Ready For Census: केंद्र सरकार ने रविवार को कहा कि उसने जनगणना कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इस संबंध में जल्द ही घोषणा की जाएगी. इसके साथ ही सरकार ने जाति को जनगणना में शामिल करने पर "खुला मन" होने का संकेत दिया है. कोविड-19 महामारी के कारण यह जनगणना अभी तक टल गई है. TOI के रिपोर्ट में दावा किया गया है इस जनगणना में सरकार जाति के कॉलम को एड कर सकती है. हालांकि, ये सब सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है. इस बारे में अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि जनगणना कराने का काम पहले से ही चल रहा है और इस पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा. इसमें जाति के कॉलम को एड किया जा सकता है.
कई विपक्षी पार्टियों और भाजपा के सहयोगियों ने जाति जनगणना की मांग की है. आरएसएस ने भी कहा है कि जब तक इस डेटा का उपयोग कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाता है, तब तक उसे कोई आपत्ति नहीं है. संघ ने साफ तौर पर कहा है कि इसका उपयोग राजनीति के लिए नहीं होना चाहिए. इन्हें कारण के आधार पर दावा किया जा रहा है कि सरकार जातीय जनगणना करा सकती है.
सरकारी अधिकारी ने यह भी कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव, जो सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है, मौजूदा मोदी सरकार के कार्यकाल में लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने के तौर-तरीकों पर काम चल रहा है. निश्चित रूप से, एक राष्ट्र-एक चुनाव इसी कार्यकाल में लागू होगा. यह वास्तविकता बनेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में एक राष्ट्र-एक चुनाव का जोरदार समर्थन किया था, यह तर्क देते हुए कि बार-बार होने वाले चुनाव देश की प्रगति में बाधा बन रहे हैं.
महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी जनगणना पर निर्भर है. यह कानून लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों को आरक्षित करता है, जो तब लागू होगा जब परिसीमन की प्रक्रिया, जो जनगणना के बाद की जाएगी, पूरी हो जाएगी.
इस बार की जनगणना पहली डिजिटल जनगणना होगी, इसमें नागरिकों को स्वयं गणना करने का अवसर मिलेगा, जो नागरिक जनगणना फॉर्म को खुद भरना चाहते हैं, उनके लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अनिवार्य कर दिया गया है.