मोदी और शी जिनपिंग की बैठक: भारत-चीन संबंधों में नई उम्मीदें

प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस में पहली बार पांच साल बाद द्विपक्षीय बैठक की. इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने और सीमा पर शांति स्थापित करने पर चर्चा हुई. मोदी ने आपसी विश्वास और सम्मान को प्राथमिकता देने की बात की, जबकि शी ने सहयोग और संवाद पर जोर दिया. यह बैठक भारत-चीन संबंधों के लिए एक नई उम्मीद जगाने वाली हो सकती है. जानिए, इस मुलाकात के पीछे की पूरी कहानी और भविष्य की संभावनाएं!

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India China Relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आज रूस के कज़ान में पहली बार 2019 के बाद द्विपक्षीय बैठक की. इस मुलाकात का उद्देश्य दोनों देशों के बीच तनाव को कम करना और आपसी विश्वास को बहाल करना था. पिछले कुछ वर्षों में, विशेषकर लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बीजिंग की 'एकतरफा' कार्रवाइयों के कारण भारत-चीन संबंधों में गंभीर गिरावट आई थी. ऐसे में यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

गश्त व्यवस्था पर आम सहमति

बैठक के दौरान, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था को लेकर आम सहमति बनी. यह सहमति गलवान घाटी में झड़प के चार साल बाद आई है जब दोनों देशों के बीच सैनिकों की संख्या बढ़ गई थी. इससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों पक्ष सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रति गंभीर हैं.

मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक के दौरान कहा, 'यह हमारे लिए खुशी की बात है कि हम पांच वर्षों के बाद आपस में मिल रहे हैं. भारत-चीन संबंध केवल हमारे देशों के लिए ही नहीं, बल्कि विश्व की शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि सीमा पर जो मुद्दे पिछले चार वर्षों में उठे हैं, उन पर बनी सहमति का स्वागत किया जाना चाहिए. मोदी ने आपसी विश्वास और सम्मान को द्विपक्षीय संबंधों का आधार बताया और उम्मीद जताई कि आगे की बातचीत रचनात्मक होगी.

शी जिनपिंग की प्रतिक्रिया

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, 'हम दोनों प्राचीन सभ्यताएं हैं और वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण सदस्य हैं. हमें अपने मतभेदों को सही तरीके से संभालना चाहिए और सहयोग बढ़ाना चाहिए.' उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को अपने विकास की आकांक्षाओं को पूरा करने में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए.

पिछली मुलाकातें

यह ध्यान देने योग्य है कि गलवान संघर्ष के बाद पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच केवल संक्षिप्त बातचीत हुई है, जैसे कि नवंबर 2022 में जी20 शिखर सम्मेलन और अगस्त 2023 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन. पिछले चार सालों से दोनों देशों के बीच कोई सीधी उड़ान नहीं थी और चीनी तकनीशियनों को अतिरिक्त सुरक्षा के बाद वीज़ा दिया गया था.

भविष्य की दिशा

इस द्विपक्षीय बैठक के परिणाम यह दर्शाएंगे कि व्यापार, आर्थिक और लोगों के बीच संबंध सामान्य हो सकेंगे या नहीं. अगर मोदी और शी की बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ती है, तो यह दोनों देशों के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है, जो न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भी शांति को बढ़ावा देगी. First Updated : Wednesday, 23 October 2024