चार राज्यों में MLA का चुनाव जीतने वाले सांसदों को 14 दिन में छोड़नी होगी सांसदी, जानिए क्या कहता है संविधान ?
2023 के विधानसभा चुनाव में राज्यों में बीजेपी ने इस बार नया प्रयोग किया था. चार राज्यों में बीजेपी ने लोकसभा सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को भी टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया था. चार राज्यों में बीजेपी ने 21 सांसदों को मैदान में उतारा था, जिनमें 12 जीते हैं.
दिल्ली. चार राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसदों को अब 14 दिन के अंदर फैसला लेना होगा कि वह सांसद रहेंगे या फिर विधायक ? अबकी बार बीजेपी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में 21 सांसदों विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारा था. इसमें 12 सांससों की जीत हुई है और 9 सांसद चुनाव हार गए हैं. अब जिन 12 सांसदों की जीत हुई है उनको 14 दिनों के अंदर यह चुनाव करना होगा कि वह विधायक बनेंगे या फिस सांसद रहेंगे. अगर विधायक बनना है तो उनको 14 दिनों के अंदर सांसदी से इस्तीफा देना होगा. चार राज्यों के विधानसभा चुनाव की तस्वीर लगभग साफ हो गई है. अब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में इन तीनों राज्यों में बीजेपी हार गई थी. बाद में मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से शिवराज सिंह ने अपनी सरकार बना ली थी.
2023 के विधानसभा चुनाव में राज्यों में बीजेपी ने इस बार नया प्रयोग किया था. चार राज्यों में बीजेपी ने लोकसभा सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को भी टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया था. चार राज्यों में बीजेपी ने 21 सांसदों को मैदान में उतारा था. जिसमें मध्य प्रदेश में 7, राजस्थान में सात, छत्तीसगढ़ में 4 और तेलंगाना में 3 सांसदों को उतारा था. इन सांसदों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंग कुलस्ते भी हैं. संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि अगर 14 दिन के भीतर अपनी एक सीट नहीं छोड़ी तो उन्हें अपनी संसद की सदस्यता गंवानी पड़ सकती है.
क्या कहता है भारतीय संविधान ?
संविधान के अनुच्छेद 101(2) के अनुसार, अगर कोई लोकसभा का सदस्य विधानसभा का चुनाव लड़ता है और जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सदन से इस्तीफा देना होता है. इसी तरह अगर किसी विधानसभा का सदस्य लोकसभा का सदस्य बनता है तो उसे भी 14 दिन के भीतर इस्तीफा देना होता है. ऐसा नहीं करने पर उसकी लोकसभा की सदस्यता स्वत: खत्म हो जाती है.
लोकसभा सदस्य बनने पर क्या होता है?
इसी तरह अगर कोई लोकसभा सदस्य राज्यसभा का सदस्य बनता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 10 दिन के भीतर एक सदन से इस्तीफा देना होता है. संविधान के अनुच्छेद 101(1) और रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट की धारा 68(1) में इसका प्रावधान है.
दो लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते तब...
यदि कोई व्यक्ति दो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ता है और दोनों ही जगह से जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सीट से इस्तीफा देना होता है. यही बात विधानसभा चुनाव में भी लागू होती है. दो सीटों पर चुनाव जीतने पर कोई एक सीट को 14 दिनों के भीतर खाली करनी होती है.
लोकसभा सदस्य विधानसभा सदस्यता की शपथ नहीं ले सकते
लोकसभा सदस्य रहते हुए विधानसभा की शपथ नहीं ले सकते. चुनाव खत्म होने के बाद चुनाव आयोग विजयी उम्मीदवार को नोटिफेशन जारी करता है. परंपरा के अनुसार लोकसभा सदस्य रहते हुए विधायक पद की शपथ ग्रहण नहीं कर सकते. अगर ऐसा करते हैं तो उन्हें लोकसभा स्पीकर को इसकी सूचना देनी होगी. अगर उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है तो नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन बार उनकी सदस्यता अपने आप ही खत्म हो सकती है.