मुर्शिदाबाद हिंसा: पश्चिम बंगाल पुलिस ने पिता-पुत्र की हत्या के मास्टरमाइंड को किया गिरफ्तार, जानें अब तक क्या हुआ कार्रवाई
पुलिस ने कहा कि एसआईटी हिंसा की घटनाओं के सभी पहलुओं की जांच करेगी, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई, संपत्तियों को नुकसान पहुंचा और जानलेवा चोटें आईं, जिसके कारण सैकड़ों हिंदू परिवारों को पड़ोसी जिलों और राज्यों में पलायन करना पड़ा. अधिकारी ने बताया कि दंगों के सिलसिले में अब तक जिले भर से 278 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

पश्चिम बंगाल पुलिस ने गुरुवार को मुर्शिदाबाद जिले के जाफराबाद में वक्फ अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के दौरान पिता और पुत्र की नृशंस हत्या के मास्टरमाइंड में से एक को गिरफ्तार कर लिया.एक वरिष्ठ अधिकारी नेबताया कि इसके साथ ही गिरफ्तार किए गए लोगों की कुल संख्या तीन हो गई है. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (दक्षिण बंगाल) सुप्रतिम सरकार ने बताया कि जिस इलाके में यह हत्या हुई थी, वहां के निवासी इंजामुल हक को बुधवार देर रात तक चली छापेमारी के बाद जिले के सुती इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया.
पिता-पुत्र की हत्या
सरकार ने कहा, "वह न केवल इस जघन्य अपराध की योजना बनाने में शामिल था, बल्कि उसने बिजली आपूर्ति बाधित करके और क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों को नष्ट करके सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी." हरगोबिंद दास (72) और उनके बेटे चंदन (40) की को उनके घर के सामने भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया था, जबकि राज्य में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन मुर्शिदाबाद में हिंसक हो गया था, जिससे व्यापक तनाव फैल गया और जिले के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए.
जांच के लिए बनाई एसआईटी
सरकार ने यह स्पष्ट करने से परहेज किया कि क्या इन दोहरे हत्याकांडों की पहले से योजना बनाई गई थी या उन्हें हिंसा के एक स्वतःस्फूर्त दौर के हिस्से के रूप में अंजाम दिया गया, क्योंकि उन्होंने कहा कि यह “जांच के शुरुआती चरण” थे. राज्य पुलिस ने इस तथा जिले में हिंसा के अन्य मामलों की जांच के लिए मुर्शिदाबाद के डीआईजी सैयद वकार रजा के नेतृत्व में 11 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया.
278 लोगों को गिरफ्तार किया गया
इस सप्ताह की शुरूआत में पुलिस ने अपराध के सिलसिले में उसी इलाके के निवासी दो भाइयों कालू नवाब और दिलदार नवाब को गिरफ्तार किया था. कालू को भारत-बांग्लादेश सीमा के पास सूती गांव से गिरफ्तार किया गया, जबकि दिलदार को झारखंड सीमा के पास बीरभूम के मुरारई से गिरफ्तार किया गया.
पुलिस ने कहा कि एसआईटी हिंसा की घटनाओं के सभी पहलुओं की जांच करेगी, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई, संपत्तियों को नुकसान पहुंचा और जानलेवा चोटें आईं, जिसके कारण सैकड़ों हिंदू परिवारों को पड़ोसी जिलों और राज्यों में पलायन करना पड़ा. अधिकारी ने बताया कि दंगों के सिलसिले में अब तक जिले भर से 278 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
एडीजी ने कहा कि मैं फिर से दोहराता हूं कि इस जघन्य कृत्य में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. सभी अपराधियों को जल्द से जल्द सजा देकर न्याय के कटघरे में लाया जाएगा." सरकार ने कहा कि पिछले चार दिनों में हिंसा की कोई नई घटना नहीं हुई है तथा जिले के प्रभावित क्षेत्रों में धीरे-धीरे सामान्य स्थिति बहाल हो रही है.
धीरे-धीरे सामान्य हो रही स्थितियां
एडीजी ने यह भी बताया कि अपने घर छोड़कर चले गए 85 परिवार अब वापस आ गए हैं और राज्य प्रशासन उन्हें जीवन पुनः शुरू करने के लिए आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने तथा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है. उन्होंने कहा, "सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के शिविर प्रभावित क्षेत्रों में काम करना जारी रखे हुए हैं."
एडीजी ने कहा कि सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों में से एक समशेरगंज भी धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है, जहां लगभग 70 प्रतिशत दुकानें फिर से खुल गई हैं. उन्होंने कहा, "जंगीपुर भी शांतिपूर्ण और स्थिर है."


