Nagpur Violence: औरंगजेब कब्र विवाद मामले में VHP और बजरंग दल के नेताओं पर केस दर्ज
नागपुर में हुई हिंसा के बाद विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कुछ नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. प्रशासन का आरोप है कि औरंगजेब की मजार हटाने को लेकर इस समूह के नेता प्रदर्शन कर रहे थे, जिसके बाद अफवाह फैली और हिंसा हुई. फिलहाल, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

Nagpur violence: महाराष्ट्र के नागपुर में सोमवार, 17 मार्च को महल इलाके में दो गुटों के बीच हिंसा और पथराव की घटना सामने आई. यह हिंसा विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई, जो कि मुगल सम्राट औरंगजेब की मजार को हटाने की मांग से जुड़ा था. विरोध प्रदर्शन के बाद कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में इन संगठनों के नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, विरोध प्रदर्शन के दौरान अफवाह फैली कि एक समुदाय की धार्मिक पुस्तक को जलाया गया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी. गणेशपेठ पुलिस थाने में विहिप के पदाधिकारियों जैसे गोविंद शेंडे और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई, जिसमें उन पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है.
चिटनिस पार्क में शाम को शुरू हुई हिंसा
पुलिस ने बताया कि सोमवार शाम को चिटनिस पार्क में करीब साढ़े सात बजे यह हिंसा शुरू हुई. प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर पथराव किया गया. इस घटना के बाद एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें कई नामजद आरोपी हैं, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
इसी बीच, नागपुर में हिंसा के बाद सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. पुलिस ने मंगलवार सुबह कर्फ्यू लागू किया, जो कोतवाली, गणेशपेठ और लकड़गंज जैसे क्षेत्रों में जारी है. शहर के 11 संवेदनशील स्थानों पर गश्त की जा रही है और चेकपोस्ट लगाए गए हैं. दंगा नियंत्रण और क्यूआरटी टीमों को प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया है.
विश्व हिंदू परिषद ने आरोपियों पर NSA लगाने की मांग की
पुलिस ने यह भी बताया कि हिंसा पूर्व नियोजित थी, जबकि VHP ने प्रशासन से अपील की कि झड़पों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. वीएचपी विदर्भ प्रांत के सह मंत्री देवेश मिश्रा ने कहा कि प्रशासन को इस मामले में सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया जाना चाहिए.
यह स्थिति नागपुर में धार्मिक तनाव और कानून व्यवस्था के मुद्दों को और बढ़ा सकती है, जिसके चलते प्रशासन को और भी सख्त कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो रही है.