NCPCR To States Regarding Madrasas: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने एक रिपोर्ट के साथ सभी राज्यों को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने देशभर के मदरसों में पढ़ रहे बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को निर्देश दिए हैं. इस पत्र में मदरसों और बच्चों के संवैधानिक अधिकारों के बीच हो रहे टकराव को समाप्त करने के उपाय सुझाए गए हैं. साथ ही राज्य सरकारों के मदरसों को मिलने वाली सहायता रोकने की सलाह दी गई है.
प्रियंक कानूनगो ने कहा कि एनसीपीसीआर, 2005 में बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत स्थापित एक संस्था है. इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उनके मामलों की निगरानी करना है. आयोग को 2015 के बाल न्याय अधिनियम और 2009 के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (आरटीई) के सही कार्यान्वयन की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है.
पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि 2009 के आरटीई अधिनियम का उद्देश्य समाज में समानता, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र के मूल्यों को सुदृढ़ करना है. हालांकि, मदरसों की शिक्षा व्यवस्था के कारण बच्चों के मौलिक अधिकारों और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों के बीच टकराव उत्पन्न हो गया है. धार्मिक संस्थानों को आरटीई अधिनियम से छूट मिलने के कारण इन संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर रखा गया है.
एनसीपीसीआर ने 'गार्जियंस ऑफ फेथ ऑर ओप्रेसर्स ऑफ राइट्स: कांस्टीट्यूशनल राइट्स ऑफ चिल्ड्रन वर्सेस मदरसा' शीर्षक से एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में 11 अध्याय शामिल हैं, जिनमें मदरसों के इतिहास और बच्चों के शिक्षा अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है.
पत्र में आगे कहा गया है कि केवल मदरसा बोर्ड का गठन करना या यूडीआईएसई कोड लेना यह नहीं दर्शाता कि मदरसे आरटीई अधिनियम का पालन कर रहे हैं. इसलिए, एनसीपीसीआर ने सुझाव दिया है कि ऐसे मदरसों को राज्य से मिलने वाली वित्तीय सहायता रोक दी जाए और आवश्यकतानुसार उन्हें बंद भी किया जाए.
पत्र में यह भी सुझाव दिया गया है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से बाहर निकालकर औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए, जबकि मुस्लिम बच्चों को औपचारिक शिक्षा व्यवस्था में लाने के लिए भी कदम उठाए जाएं, चाहे वे मदरसे मान्यता प्राप्त हों या न हों.
एनसीपीसीआर की इस रिपोर्ट का उद्देश्य बच्चों को एक सुरक्षित, स्वस्थ और उत्पादक वातावरण में विकसित होने का अवसर प्रदान करना है. इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी बच्चे देश के विकास में अपनी भूमिका निभा सकें. इस पत्र के साथ रिपोर्ट की एक प्रति भी मुख्य सचिवों को भेजी गई है ताकि वे इस दिशा में आवश्यक कदम उठा सकें.