NDA से खिसक न जाएं दो दिग्गज पहले कोटा अब सरमा के नमाज ब्रेक पर भड़ास

Namaz Break In Assam: बड़े फैसले लेने वाले हिमंत बिस्व सरमा के राज्य में एक और बड़ा फैसला हुआ है. विधानसभा ने शुक्रवार को मिलने वाले 2 घंटे के नमाज ब्रेक को खत्म कर गिया है. इसके बाद खुद मुख्यमंत्री ने इस फैसले का स्वागत किया. हालांकि, अब NDA के सहयोगियों में इसे लेकर अनबन सामने आने लगी है. इस निर्णय पर JDU और LJP के नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है.

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Namaz Break In Assam: एनडीए के प्रमुख सहयोगी दल, जेडीयू और एलजेपी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के फैसले पर असहमति जताई है. दोनों दलों ने असम विधानसभा के उस निर्णय की आलोचना की है जिसमें मुस्लिम विधायकों के लिए नमाज पढ़ने के लिए शुक्रवार को दी जाने वाली दो घंटे की छुट्टी को समाप्त कर दिया गया है. सरमा ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह निर्णय हिंदू और मुस्लिम विधायकों के बीच सहमति से लिया गया है.

पहले दें NDA की सरकार बनने के बाद से ही ये दोनों दल कई मुद्दों पर BJP से अलग रुख रखते नजर आए हैं. नमाज ब्रेक वाले मुद्दे से पहले दोनों दलों ने ही लेटरल एंट्री के विवाद पर खुलकर अपनी राय रखी थी. गठबंधन के साथियों के विरोध के कारण ही सरकार को इस फैसले को पास लेना पड़ा था.

जेडीयू ने जताई कड़ी आपत्ति

जेडीयू के नेता नीरज कुमार ने असम सरकार के इस फैसले की आलोचना की और कहा कि मुख्यमंत्री सरमा को गरीबी उन्मूलन और बाढ़ रोकथाम जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. असम के मुख्यमंत्री का यह निर्णय देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. हर धार्मिक विश्वास को अपनी परंपराओं को बनाए रखने का अधिकार है.

नीरज कुमार ने आगे कहा कि मैं सीएम सरमा से पूछना चाहता हूं कि आप रमजान के दौरान शुक्रवार की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि इससे काम की उत्पादकता बढ़ेगी. हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मां कामाख्या मंदिर है, क्या आप वहां बलिदान की प्रथा पर भी प्रतिबंध लगा सकते हैं? 

केसी त्यागी ने क्या कहा?

जेडीयू नेता के सी त्यागी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और पूजा की स्वतंत्रता का प्रावधान है. किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे.

चिराग की LGP का भी विरोध

एलजेपी के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी असम सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि धार्मिक प्रथाओं की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए.

सरमा ने किया बचाव

सरमा ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि हमारी विधानसभा के हिंदू और मुस्लिम सदस्य विधायक नियम समिति में बैठे और सर्वसम्मति से तय किया कि दो घंटे का यह ब्रेक उचित नहीं है. हमें इस समय के दौरान भी काम करना चाहिए. यह प्रथा 1937 में शुरू हुई थी और इसे कल से समाप्त कर दिया गया है.

पहले कोटा और नमाज

बता दें हाल ही में बिहार के इन दोनों सहयोगी दलों ने कोटा प्रावधानों का पालन किए बिना केंद्र सरकार के एकतरफा फैसले पर सवाल उठाया था. इसके बाद से सरकार ने लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती को वापस ले लिया था.

First Updated : Sunday, 01 September 2024