Silkyara Tunnel Rescue: 'हमें थोड़ा धैर्य रखना पड़ेगा, काम करने वाले पर दवाब नहीं डाल सकते', NDMA सदस्य
Silkyara Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग के बीच फंसे 41 श्रमिकों को टनल से बाहर निकालने की प्रक्रिया जारी है. इस राहत बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एनडीएमए, केंद्र और राज्य की एजेंसिया सहित भारतीय सेना का भी मदद लिया जा रहा है.
Silkyara Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग के बीच फंसे 41 श्रमिकों को टनल से बाहर निकालने की प्रक्रिया जारी है. इस राहत बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एनडीएमए, केंद्र और राज्य की सुरक्षा एजेंसिया सहित भारतीय सेना का भी मदद लिया जा रहा है. लेकिन अभी इस ऑपरेशन की सफलता के रास्ते में कई मुश्किलें सामने आ रही हैं. इस बीच राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत) ने अपने बयान में कहा कि हमें थोड़ा धैर्य रखना पड़ेगा.
एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि "हमें थोड़ा धैर्य रखना पड़ेगा. काम करने वालों पर किसी प्रकार का दवाब नहीं डालना है. याद रखना है कि जहां भी काम हो रहा है वे खतरनाक है. उन्होंने कहा कि जिस जगह पर ये राहत बचाव का कार्य चल रहा है वह बहुत ही खतरनाक है. पहले जिस तरह का खतरा अंदर था, जहां श्रमिक फंसे हुए हैं, उस खतरे को अब बहुत हद तक कम कर लिया गया है. इस रेस्कयू ऑपरेशन में कुल तीन अलग-अलग तरीकों पर काम किया जा रहा है.
#WATCH सिल्क्यारा सुरंग बचाव अभियान | राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने कहा, "हमें थोड़ा धैर्य रखना पड़ेगा। काम करने वालों पर किसी प्रकार का दवाब नहीं डालना है। याद रखना है कि जहां भी काम हो रहा है वे खतरनाक है।" pic.twitter.com/uNtDUlxdzb
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 25, 2023
12 नवंबर को ढह गया था सुरंग का एक हिस्सा
बता दें कि 12 नवंबर को उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से 41 मजदूर टनल में फंस गए. राज्य सरकार अभी तक मजदूरों को बाहर निकालने में विफल साबित हुई है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए अमेरिका की ऑगर मशीन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, हालांकि यह ऑगर मशीन भी इस ऑपरेशन में कामयाबी नहीं दिला सकी. अब घटना के 14 दिन बाद भी सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को सूर्य की रौशनी की का इंतेजार है कि कब वह बाहर आकर राहत की सांस लेंगे.