कर्नाटक नहीं होगी NEET की परीक्षा! जानिए क्या है इसके पीछे की वजह
कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने राज्य में नीट को रद्द करने के प्रस्ताव वाले विधेयक को अपनी सहमति दे दी है. सोमवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव बना और पास हो गया. यह विधेयक नीट परीक्षा के खिलाफ है. इसमें या तो इसे किसी अन्य मेडिकल प्रवेश परीक्षा से बदलने या इसे कर्नाटक में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) से जोड़ने का प्रस्ताव है.
कर्नाटक सरकार ने एक बार फिर से युवाओं के हित का सोच कर नया फैसला लिया है. दरअसल कर्नाटक सरकार ने पेपर लीक मामले के बाद राज्य में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) को खत्म करने की तैयारी कर ली है. सोमवार को कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और वे मौजूदा सत्र के दौरान दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित करने के लिए तैयार हैं.
अगर ये विधेयक पारित हो जाता है, तो कर्नाटक की अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा होगी. इससे पहले, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि NEET परीक्षा उत्तर भारत के छात्रों को लाभ पहुंचा रही है. उन्होंने कहा, 'NEET परीक्षा को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को राज्यों को अपनी परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देनी चाहिए. कर्नाटक ने कॉलेज बनाए हैं, लेकिन NEET परीक्षा उत्तर भारतीय छात्रों को लाभ पहुंचा रही है और हमारे अपने छात्रों को वंचित कर रही है. हम सभी को इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा.'
तमिलनाडू सरकार ने भी लिया फैसला
ये फैसला तमिलनाडू सरकार द्वारा NEET परीक्षा को समाप्त करने और कक्षा 12 के अंकों का उपयोग करके राज्य-आधारित मेडिकल प्रवेश की पिछली प्रणाली को वापस लाने के कदम के बाद लिया गया है. बता दें कि जून में, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि गरीब छात्र NEET परीक्षा की तैयारी और लिखने का खर्च नहीं उठा सकते.
तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयक
तमिलनाडु के प्रस्ताव में कहा गया है, 'NEET, जो ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए चिकित्सा शिक्षा तक पहुंचने के अवसरों को प्रभावित करता है और राज्य सरकारों के छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश देने के अधिकार को छीनता है. जिसे अब समाप्त किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार को तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को मंजूरी देनी चाहिए जिसमें राज्य के लिए छूट की मांग की गई है.'
कैबिनेट ने ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी का भी प्रस्ताव
इस बीच, कैबिनेट ने ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी (जीबीए) का भी प्रस्ताव रखा है जो इस समय बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) से बेंगलुरु पर वित्तीय अधिकार लेगी. बेंगलुरु के पुनर्गठन की योजना लंबे समय से चल रही थी. वन नेशन वन इलेक्शन के खिलाफ एक और प्रस्ताव भी विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा. इन तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंगलवार या बुधवार को पेश किए जाने की संभावना है.