NEET Paper Leak Case: देश में चल रहे नीट-यूजी 2024 पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज ( 8 जुलाई) सुनवाई हुई. इस दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि क्वेशन पेपर लीक होना एक "स्वीकृत तथ्य" है. वहीं जब राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने कोर्ट को बताया कि सीबीआई आरोपों की जांच कर रही है और 6 एफआईआर दर्ज की गई हैं, तो चीफ जस्टिस ने जवाब दिया, "इसलिए, यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि पेपर लीक हुआ था."
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने आज मेडिकल प्रवेश परीक्षा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. इन याचिकाओं में परीक्षा रद्द करने और इसे नए सिरे से दोबारा कराने की मांग की गई है. इसमें 5 मई को हुई परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है. इस दौरान डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया कि एनटीए यह खुलासा करे कि क्वेशन पेपर लीक कब हुआ, कैसे लीक हुआ और पेपर लीक होने और 5 मई को NEET-UG परीक्षा के आयोजन के बीच का टाइम पीरियड कितना था? वहीं अब मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच इस एग्जाम से संबंधित 38 याचिकाओं की समीक्षा की. यह एग्जाम देश भर में सरकारी और प्राइवेट दोनों संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य मेडिकल में एडमिशन के लिए एक नेशनल लेवल का एग्जाम है. इस दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने कोर्ट के सामने पेश किया कि एनटीए ने एग्जाम कराने के वाले जरूरी स्टेप का पालन नहीं किया है. उन्होंने तर्क दिया कि गड़बड़ियां बड़े पैमाने पर की गई थीं.
पेपर लीक और ग्रेस मार्क्स देने में गड़बड़ी के आरोपों के बाद देश में राजनीतिक घमासान जारी है. इस परीक्षा में 67 बच्चों ने 720 में से 720 नंबर हासिल किए, जिसमें से 6 एक ही सेंटर से थे. इस पर कोर्ट ने पूछा इसमें से ऐसे कितने छात्र थे, जिनको ग्रेस मार्क्स मिले थे. वहीं इस परीक्षा के नतीजे निर्धारित तारीख से 10 दिन पहले 4 जून को घोषित किए गए थे.
दरअसल सरकार और एनटीए जो एनईईटी-यूजी का संचालन करती है, उसने बड़े पैमाने पर प्राइवेसी के उल्लंघन के सबूतों की कमी और हजारों ईमानदार उम्मीदवारों पर नेगेटिव इफेक्ट का हवाला देते हुए परीक्षा को रद्द करने के खिलाफ तर्क दिया है.
इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में कहा, "अखिल भारतीय परीक्षा में प्राइवेसी के किसी बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में, पूरी परीक्षा और पहले से घोषित नतीजों को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा." सरकार ने कहा, "परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से 2024 में क्वेशन पेपर देने वाले लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों को गंभीर नुकसान होगा."
इस भावना को दोहराते हुए, एनटीए के हलफनामे में परीक्षा रद्द करने को जनहित और योग्य उम्मीदवारों के करियर की संभावनाओं के लिए काफी हानिकारक बताया गया. एजेंसी ने कहा कि परीक्षा निष्पक्ष और सुरक्षित तरीके से आयोजित की गई थी, और व्यापक गड़बड़ी के दावों को निराधार और भ्रामक बताया. बता दें कि 11 जून को इसी तरह की एक याचिका पर विचार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि " परीक्षाओं की पवित्रता प्रभावित हुई है " और "हमें जवाब चाहिए", क्योंकि इसने केंद्र और एनटीए से जवाब मांगा था.
इस दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने एनटीए के वकील से कहा, "यह इतना आसान नहीं है. चूंकि आपने यह किया है, इसलिए यह पवित्र है. पवित्रता प्रभावित हुई है, इसलिए हमें जवाब चाहिए." याचिकाओं में परीक्षा को रद्द करने, पुनः परीक्षा कराने तथा परीक्षा को लेकर उठाए गए मुद्दों की कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग की गई है. यह परीक्षा 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने दी थी.
इस बीच, सीबीआई ने विभिन्न राज्यों में दर्ज आरोपों और मामलों की जांच शुरू कर दी है. सरकार ने एनटीए द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष एग्जाम सुनिश्चित करने के उपायों का सुझाव देने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. एजेंसी के अध्यक्ष को भी बदल दिया गया है. First Updated : Monday, 08 July 2024