Delhi News: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर और ट्रैफिक के स्पेशल कमिश्नर से वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण और पार्किंग की समस्याओं को कम करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है. एनजीटी ने कहा है कि प्रदूषण-रोधी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के विभिन्न चरणों को लागू करने के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया का पालन करना चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह आदेश 24 अक्टूबर को एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता पर विचार करते हुए दिया गया. एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि 23 अक्टूबर को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 364 था, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है. यह हालात दर्शाते हैं कि अधिकारियों ने वायु गुणवत्ता में गिरावट को रोकने में कमी की है.
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की 23 अक्टूबर की रिपोर्ट का उल्लेख किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) का स्टेप I तब सक्रिय किया गया जब दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लंबे समय तक 200 से ऊपर रहा.
एनजीटी ने बताया कि वाहनों से होने वाला प्रदूषण वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है, और यातायात नियंत्रण, पार्किंग समस्याओं का समाधान, और पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की जिम्मेदारी पुलिस की है. एनजीटी ने पुलिस आयुक्त और यातायात प्रबंधन के विशेष आयुक्त को भी मामले में शामिल किया और उन्हें हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. इसमें उनसे वाहनों की आवाजाही और पार्किंग से संबंधित प्रदूषण कम करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देने के लिए कहा गया.
इसके अलावा, दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को उल्लंघनों की जांच के लिए फील्ड स्टाफ को मजबूत करने और उनकी निगरानी करने का निर्देश दिया गया. सीपीसीबी, दिल्ली सरकार, और एमसीडी को प्रदूषण की जांच के लिए अपने मोबाइल एप्लीकेशन का प्रचार करने के लिए कहा गया. एनजीटी ने सीएक्यूएम को जनवरी से सितंबर 2024 तक उठाए गए कदमों का खुलासा करने का निर्देश दिया, ताकि सर्दियों में वायु गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित किया जा सके. इस मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी. First Updated : Monday, 28 October 2024