NHAI toll tax rules: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI ने टोल बूथ पर वेटिंग टाइम को लेकर बने तीन साल पुराने नियमों को वापस ले लिया है. दरअसल यदि आप हाइवे पर यात्रा करते हैं. तो आपको आपनी जेब ढीली करनी होगी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का ऐलान कर चुके हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 में संशोधन किया गया.
बता दें कि अब तक टोल (Toll Collections) कलेक्शन के लिए ट्रेडिशनल तरीकों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. अब सरकार ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) तकनीक लाई है गई है. इसके आने के बाद भारत में पुराने टोल की तकनीक को खत्म कर दिया गया है.
GNSS नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम पर आधारित होगा. इसमें एक सैटेलाइट आधारित यूनिट होगी, ये गाड़ियों में इंस्टॉल की जाएगी. वाहन जैसे ही टोल रोड से निकलेगा, वैसे ही सिस्टम टोल रोड के इस्तेमाल को कैलकुलेट करेगा और रकम काट लेगा. इस सिस्टम की हेल्प से अधिकारी आसानी से ट्रैक कर पाएंगे कि कार ने कब टोल हाईवे का इस्तेमाल करना शुरू किया.
GNSS सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि इसकी मदद से यात्री सिर्फ उतना ही पैसा देंगे, जितनी उन्होंने यात्रा की है. इसके मदद से यात्री टोल यह भी पता लगा पाएंगे कि कितनी राशि देनी है और इस हिसाब से वो भुगतान कर पाएंगे. इसके साथ ही राष्ट्रीय परमिट वाहन के अलावा किसी अन्य वाहन का चालक, मालिक या प्रभारी व्यक्ति जो राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, बाईपास या सुरंग का उपयोग करता है, तो उस पर वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम से टैक्स लिया जाएगा.
जिसके जरिए एक दिन में प्रत्येक दिशा में बीस किलोमीटर की यात्रा तक शून्य-उपयोगकर्ता शुल्क लगाया जाएगा और यदि यात्रा की गई दूरी बीस किलोमीटर से अधिक है, तो वास्तविक यात्रा की गई दूरी के लिए शुल्क लिया जाएगा. First Updated : Tuesday, 10 September 2024