'एक राष्ट्र, एक चुनाव' बहस के दौरान नितिन गडकरी, सिंधिया समेत 20 भाजपा सांसद अनुपस्थित: सूत्र
सूत्रों के अनुसार, इतने सारे सांसदों की अनुपस्थिति से भाजपा नेतृत्व नाराज है, क्योंकि पार्टी ने निर्देश जारी कर सभी सांसदों से सदन में उपस्थित रहने को कहा था. हालांकि, कई सांसदों ने पहले ही इसकी सूचना दे दी थी.
नई दिल्ली. भाजपा मंगलवार को लोकसभा में एक साथ चुनाव कराने के बिल को पेश करने के लिए वोटिंग के दौरान पार्टी के 20 सांसदों के अनुपस्थित रहने की जांच कर रही है. इस बिल को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के नाम से जाना जाता है. एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अनुपस्थित सांसदों में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, गिरिराज सिंह और सीआर पाटिल शामिल थे.
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के कई प्रमुख सांसदों की सदन में अनुपस्थिति पार्टी नेतृत्व के लिए चिंता का कारण बनी हुई है. शांतनु ठाकुर, जगदंबिका पाल, बीवाई राघवेंद्र, विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, जगन्नाथ सरकार, जयंत कुमार रॉय, वी सोमन्ना और चिंतामणि महाराज उन सांसदों में शामिल हैं, जिनकी सदन में अनुपस्थिति ने भाजपा को परेशान कर दिया है.
सभी सांसदों से सदन में उपस्थित रहने का आग्रह
पार्टी ने व्हिप जारी कर सभी सांसदों से सदन में उपस्थित रहने का आग्रह किया था, लेकिन कई सांसदों ने व्यक्तिगत और कार्य-संबंधी कारणों से अपनी अनुपस्थिति की पूर्व सूचना दी थी. सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सार्वजनिक कार्यक्रम में राजस्थान में व्यस्त थे. इससे उनकी अनुपस्थिति की स्थिति स्पष्ट हो गई थी. एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि हम निश्चित रूप से सांसदों की अनुपस्थिति के कारणों की जांच कर रहे हैं. कुछ सांसदों के पास वास्तव में उचित कारण थे।
विधेयक पर हुई 90 मिंट बहस
लोकसभा में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक पर करीब 90 मिनट की बहस के बाद इसे पेश किया गया। इस विधेयक के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 सांसदों ने वोट किया। विधेयक को लेकर सदन में तीखी बहस भी हुई। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह विधेयक राज्यों को प्राप्त शक्तियों से छेड़छाड़ नहीं करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि वे इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति को सौंपने का प्रस्ताव पेश करेंगे।
तानाशाही लाने का प्रयास
कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने विधेयक के प्रस्तुत करने का विरोध किया और इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला करार दिया. तिवारी का कहना था कि संघवाद और लोकतंत्र की संरचना संविधान की कुछ विशेषताएं हैं, जिन्हें संसद के संशोधन अधिकार से बाहर रखा गया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला करता है. समाजवादी पार्टी के सदस्य धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि भाजपा द्वारा "एक राष्ट्र, एक चुनाव" लागू करने का कदम देश में तानाशाही लाने का प्रयास है.