2024 के लोकसभा चुनाव में अभी तकरीबन सालभर का समय है। सत्ताधारी बीजेपी समेत राजनीतिक दल काफी पहले से चुनाव की तैयारियों में सक्रिय हो चुके हैं। कांग्रेस ने पूरे देश में भारत जोड़ो यात्रा निकाली तो दक्षिणी राज्य तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर लगातार रैलियां कर विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। चाहे केजरीवाल हों, अखिलेश हों, ममता बनर्जी हों सबके के सब विपक्ष की एकजुटता की कवायद में जुटे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी कहा है कि विपक्ष को मजबूत क्षेत्रीय दलों की ओर ध्यान देने की जरूरत है ताकि बीजेपी को टक्कर दी जा सके और उसे 2024 में रोका जा सके।
विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी काफी पहले से सक्रिय हैं। इस बार जब उन्होंने बीजेपी से अपना नाता तोड़ा था तभी से वो इस अभियान में जुट चुके हैं वो पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और वामपंथी नेताओं सीताराम येचुरी और डी राजा से इस मामले में मुलाकात कर चुके हैं। अब इसी सिलसिले में मंगलवार को नीतीश कुमार भुवनेश्वर में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाक़ात करेंगे। इसके बाद वो मुंबई में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और शिव सेना प्रमुख उद्भव ठाकरे से मुलाक़ात करने जाएंगे। नीतीश कुमार की इन दोनों नेताओं से मुलाक़ात गुरुवार को संभावित हैं।
इससे पहले नीतीश कुमार के करीबी बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने मुंबई में पिछले हफ़्ते दोनों नेताओं से मुलाक़ात की थी। ऐसा माना जा रहा हैं कि कर्नाटक चुनाव के बाद पटना में संभावित ग़ैर भाजपा दलों के नेताओं के सिलसिले में नीतीश सभी नेताओं से व्यक्तिगत मुलाक़ात कर रहे हैं। पिछले दिनों ही नीतीश कुमार ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। बता दें कि नीतीश कुमार ने हाल में घोषणा की थी कि वे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए देश भर में यात्रा करेंगे।