नॉलेज : भारत के इस पड़ोसी देश में न कोई बेघर है, न कोई भूखा सोता है; यहां इलाज है फ्री
इस देश की सबसे अच्छी बात यह है कि नागरिकों का इलाज एकदम मुफ्त है. दवाओं का खर्च भी सरकार ही उठाती है. यहां कोई भूखा भी नहीं रहता. इन्हीं वजहों से यह देश एशिया का सबसे खुशहाल देश बना है.
India Neighbor country : भारत के किसी भी शहर में आप निकलेंगे तो भिखारी आपको मिल ही जाएंगे. भारत में गरीबी, खाद्यान समस्या की बातें आपने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्ट में पढ़ी और सुनी होगी. लेकिन, भारत के पड़ोस में एक छोटा सा देश ऐसा भी है, जहां कोई भिखारी नहीं मिलता. यहां न तो कोई आदमी भूखा सोता और न ही कोई बेघर है. यह पड़ोसी देश कौन सा है इसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
कितने खुश हैं यहां के लोग
भूटान हमारा ऐसा पड़ोसी देश है, जहां कोई बेघर नहीं है ना कोई भूखा रहता है. भूटान सरकार सबका मुफ्त इलाज कराती है. भूटान को दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में गिना जाता है. आध्यात्मिक तौर पर उच्च शिखर में रहने वाला यह देश नेचर के काफी करीब है. यहां की ज्यादातर आबादी गांवों में ही रहती है. भूटान के पास सेना है, लेकिन इसके पास नौसेना और वायुसेना नहीं है. भूटान की भारत के साथ जितनी सीमा लगती है, वहीं भारत इसकी सीमा का ख्याल रखता है. भूटान के अधिकतर नागरिक बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं. यह लंबे समय तक अलग-थलग देश रहा है. लेकिन, साल 1970 में पहली बार किसी विदेशी पर्यटक को यहां आने की इजाज़त दी गई.
इन वजहों से खास है यह देश
भूटान कई मायनों में खास है. यह एक ऐसा देश है, जहां सरकार सबको रहने के लिए घर देती है और भोजन की गारंटी देती है. यही कारण है कि इस देश में आपको न एक भी भिखारी मिलेगा और न ही यहां पर कोई आदमी बेघर मिलेगा. यहां हर किसी के पास अपना मकान है. यहां के लोग आमतौर पर खुशहाल जीवन गुजारते हैं. इस देश की सबसे अच्छी बात यह है कि नागरिकों का इलाज एकदम मुफ्त है. दवाओं का खर्च भी सरकार ही उठाती है. यहां कोई भूखा भी नहीं रहता. इन्हीं वजहों से भूटान एशिया का सबसे खुशहाल देश बना है.
देश में राष्ट्रीय खुशी समिति बना है
इस देश में साल 2008 में लोगों की आंतरिक शांति का ख्याल रखने के लिए, सकल राष्ट्रीय खुशी समिति का गठन किया गया था. यहां तक कि जनसंख्या जनगणना प्रश्नावली में एक कॉलम होता है, जहां आप बता सकते हैं कि आप अपने जीवन से संतुष्ट हैं या नहीं. यहां एक खुशी मंत्रालय भी है, जो सकल घरेलू खुशी को मापता है. यहां पर जीवन की गुणवत्ता उनके वित्तीय और मानसिक मूल्यों के बीच संतुलन से निर्धारित होती है.
भूटान में कैसी है व्यवस्था
भूटान में कोई भी आदमी सड़कों पर सोता हुआ नहीं दिखता. भूटान में अगर कोई व्यक्ति अपना घर खो देता है, तो उसे राजा के पास जाना होता है. राजा उनको जमीन का एक टुकड़ा देता है, जहां वो घर बना सकता है और सब्जियां पैदा कर सकते हैं. भूटान के लोग खुद को खुश मानते हैं और अपने जीवन से संतुष्ट रहते हैं. भूटान में हर निवासी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने का अधिकार है. भूटान में पारंपरिक और शास्त्रीय दोनों तरह की चिकित्सा आम है. एक व्यक्ति खुद ये तय करता है कि उसे किस विधि से उपचार कराना है.
भूटान पर्यावरण क्षेत्र में अग्रणी देश है. यहां प्लास्टिक की थैलियां 1999 से प्रतिबंधित हैं. यहां तंबाकू लगभग पूरी तरह से ग़ैरक़ानूनी है. इस देश के कानून के अनुसार 60% भाग में जंगल होने ही चाहिए. कमाल के प्राकृतिक दृश्यों और शानदार संस्कृति के बावजूद यह अब भी बड़े पैमाने पर पर्यटन से बचा रहा है और ऐसा जान-बूझकर किया गया है. वे बढ़ते पेड़ों पर भी विशेष ध्यान देते हैं. साल 2015 में, भूटान ने एक विश्व रिकॉर्ड बनाया जब लोगों ने सिर्फ एक घंटे में 50,000 पेड़ लगाए.
भूटान में क्या बदल रहा है?
अब भूटान में चीज़ें तेज़ी से बदल रही हैं. राजधानी थिम्पू में अब स्मार्टफ़ोन और कराओके बार (कमरे में नशीला पदार्थ और सांग्स) वाले बार आम हो गए हैं. यहां युवा आबादी में बहुतायत में हैं जिसने सोशल मीडिया को आसानी से स्वीकार कर लिया है. इसकी वजह से वहां फैशन में उछाल आया है और राजनीति पर ज़्यादा खुलकर चर्चा हो रही है.
भूटान में, किसी विदेशी से शादी करना बिल्कुल मना है. राजा अपनी विशिष्टता और दुनिया के बाकी हिस्सों से अलगाव को संरक्षित करने के लिए ऐसा करता है. हालांकि ये नियम वहां के राजा पर लागू नहीं होता. सभी आवश्यक अनुष्ठान किए जाने के बाद ही एक युगल परिवार बनता है. वहां यह नियम है कि पुरुष एक महिला के घर आता है और जब वह पर्याप्त पैसा कमाता है, तो वो उसे दूसरे घर में ले जा सकता है.
भूटान में नहीं है ट्रैफिक लाइट
भूटान में अगर यातायात नियमों की बात करें तो यहां सड़कों पर ट्रैफिक लाइट नहीं होती है. यहां पर ट्रैफिक पुलिस ही ट्रैफिक को मैनेज करती है. भूटान दुनिया का एकमात्र कार्बन निगेटिव देश है. यानी यह देश जितना कार्बनडाइऑक्साइड पैदा करता है उतना ही ज्यादा इसे अवशोषित भी कर लेता है. पूरी दुनिया को अगर कार्बन उत्सर्जन कम करना सीखना हो तो इसे भूटान से जरूर सीखना चाहिए.