Tata Trusts का चेयरमैन बनने के बाद क्या बोले नोएल टाटा; पहले क्या करते थे?
Ratan Tata: रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को बड़ी जिम्मेदारी मिली है. 11 अक्टूबर को टाटा ट्र्सट्स की हुई अहम मीटिंग में उन्हें सर्वसम्मति से नया अध्यक्ष चुन लिया गया है. नई जिम्मेदारी मिलने के बाद नोएल टाटा का पहला बयान क्या आया है. पढ़िए
Ratan Tata: रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. 11 अक्टूबर को मुंबई में आयोजित बोर्ड मीटिंग के बाद यह ऐलान किया गया है. इस मीटिंग में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया. 67 वर्षीय नोएल टाटा को अब टाटा ट्रस्ट्स का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया है, जो टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखता है. अध्यक्ष के रूप में अपने पहले बयान में, नोएल टाटा ने कहा, "मैं अपने साथी ट्रस्टियों द्वारा मुझ पर डाली गई जिम्मेदारी से बहुत सम्मानित और विनम्र महसूस कर रहा हूं.
नोएल टाटा ने आगे कहा,"मैं श्री रतन एन. टाटा और टाटा समूह के संस्थापकों की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हूं. एक सदी से भी ज्यादा समय पहले स्थापित, टाटा ट्रस्ट्स सामाजिक भलाई के लिए एक अनूठा माध्यम है. इस पवित्र अवसर पर, हम अपने विकासात्मक और परोपकारी पहलों को आगे बढ़ाने और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाने के लिए खुद को फिर से समर्पित करते हैं." टाटा ट्रस्ट न सिर्फ टाटा समूह की परोपकारी ब्रांच है, बल्कि टाटा संस में 66% की नियंत्रित हिस्सेदारी भी रखती है. यह ट्रस्ट को समूह के शासन और फैसले लेने की संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है. रतन टाटा ने कई वर्षों तक ट्रस्ट का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन कोई संतान या नामित उत्तराधिकारी न होने की वजह से अगले अध्यक्ष को चुनने की जिम्मेदारी बोर्ड पर आ गई.
बता दें कि नोएल टाटा चार दशकों से अधिक समय से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं, उन्होंने अलग-अलग टाटा कंपनियों में प्रमुख नेतृत्व पदों पर कार्य किया है. वह वर्तमान में टाटा इंटरनेशनल, टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन और ट्रेंट लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं, जबकि टाटा स्टील और वोल्टास समेत कई अन्य टाटा ग्रुप की कंपनियों के बोर्ड में भी बैठे हैं. उनकी नेतृत्व शैली को अक्सर रतन टाटा की तुलना में अधिक संयमित बताया जाता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय उपक्रमों और खुदरा विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. उनका अनुभव, विशेष रूप से ट्रेंट लिमिटेड को 2.8 लाख करोड़ रुपये की खुदरा दिग्गज कंपनी बनाने में, काफी सराहा गया है.
अपनी कॉर्पोरेट जिम्मेदारियों के अलावा, नोएल सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में ट्रस्टों से जुड़े रहे हैं, जो टाटा ट्रस्ट के भीतर दो सबसे बड़ी संस्थाएं हैं.