उत्तर पूर्व के राज्यों में 'जातीय हिंसा' पर नकेल, गृह मंत्रालय ने 6 महीने बढ़ाया AFSPA

गृह मंत्रालय (MHA) ने मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में 6 महीने के लिए सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) को बढ़ा दिया है. यह कदम मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और सुरक्षा संकट के मद्देनजर उठाया गया है, ताकि राज्य में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. 

North Eastern states AFSPA: गृह मंत्रालय ने उत्तर पूर्व के तीन राज्यों में AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. इस AFSPA कानून को मणिपुर के 13 पुलिस थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में लागू किया गया है. इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के तिराप, चांगलांग और लॉन्गडिंग जिलों और राज्य के तीन पुलिस थाना क्षेत्रों में भी इस कानून को अगले छह महीने के लिए लागू किया गया है. नगालैंड में भी AFSPA को 8 जिलों और 21 पुलिस थाना क्षेत्रों में 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. 

गृह मंत्रालय का यह कदम मणिपुर में बढ़ते जातीय संघर्षों को रोकने और सुरक्षा स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लिया गया है. 13 फरवरी 2023 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था और विधानसभा को निलंबित कर दिया गया था. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में यह कदम उठाया गया. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में कई महीनों तक जातीय हिंसा हुई, जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए. यह हिंसा मई 2023 से जारी थी, जो मणिपुर की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को और अधिक अस्थिर बना रही थी.

इस कानून से सेना और सुरक्षा बलों को मिलती है मदद

AFSPA के तहत सेना और अन्य सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार मिलते हैं, जो अशांत क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं. AFSPA को पहली बार 1958 में लागू किया गया था और यह उन क्षेत्रों में लागू होता है जिन्हें "अशांत क्षेत्र" घोषित किया गया हो, जैसे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्य. यह कानून सुरक्षा बलों को संदिग्ध व्यक्तियों को बिना वारंट गिरफ्तार करने, संदिग्ध स्थानों पर तलाशी लेने और अगर जरूरत पड़ी तो बल प्रयोग करने का अधिकार देता है. 

उत्तर पूर्व के राज्यों में लागू AFSPA पर विवाद

AFSPA पर विवाद भी रहा है, क्योंकि इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को गलत कार्रवाई करने पर भी कानूनी सुरक्षा मिलती है, जिससे मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगता है. हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कानून उग्रवाद और आतंकवाद से निपटने के लिए आवश्यक है.

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30 March 2025, 04:17 PM IST

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