Karnataka High Court: शादी के बाद पत्नी के साथ संबंध नहीं बनाना क्रूरता है या नहीं, फैमिली और हाई कोर्ट में क्यों मच रहा बवाल?
हाईकोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि शादी के बाद पति अगर शारीरिक संबंध बनाने से मना करता है तो उसको को क्रूरता नहीं कहेंगे. कोर्ट का कहना है कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत इसको अपराध क्रूरता नहीं माना जायेगा.
हाइलाइट
- शादी के बाद पति अगर शारीरिक संबंध बनाने से मना करता है तो उसको को क्रूरता नहीं कहेंगे.
Karnataka High Court: कर्नाटक हाईकोर्ट ने 2020 में दायर किये एक मामले पर अहम फ़ैसला सुनाया है. कोर्ट ने पति और उसके माता-पिता के ख़िलाफ़ पत्नी के द्वारा 2020 में दायर किए गए एक आपराधिक मामले को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि शादी के बाद पति अगर शारीरिक संबंध बनाने से मना करता है तो उसको क्रूरता नहीं कहेंगे. कोर्ट का कहना है कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत इसको अपराध क्रूरता नहीं माना जायेगा.
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि "पति का कभी भी अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का इरादा नहीं था. जो हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12(1) के तहत क्रूरता में आता है, लेकिन ये आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता नहीं है." साथ ही उन्होंने कहा कि शिकायत और चार्जशीट में ऐसी कोई भी घटना या तथ्य नहीं हैं, जो इसे आईपीसी की धारा के तहत क्रूरता साबित करे. जस्टिस एम नागप्रसन्ना का कहना है कि तलाक के लिए फैमिली कोर्ट ने शारीरिक संबंध न बनाने को क्रूरता माना था, इसी आधार पर कार्यवाही जारी रखने की अनुमति टॉर्चर में बदल जाएगी और इससे क़ानून का दुरुपयोग होगा.
क्या था मामला?
इस दंपत्ति की शादी 18 दिसंबर 2019 को हुई थी. शादी के लगभग एक महीने के अन्दर ही पत्नी ने अपना ससुराल छोड़ दिया था. उसके बाद पत्नी ने 5 फरवरी 2020 को आईपीसी की धारा 498ए और दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत केस दर्ज करवाया था. इसके साथ ही हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी को रद्द करने की मांग करते हुए भी केस किया था.
पति ने भी दी थी कोर्ट में चुनौती
पति ने दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 और आईपीसी की धारा 498ए के तहत खुद को और अपने परिवार को बचने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिसमे जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ केवल सिर्फ़ ये इल्ज़ाम है कि वो किसी आध्यात्मिक विचार को मानने वाला है और उसका मानना है कि प्यार में शारीरिक संबंध बनाने की ज़रूरत नहीं है, ये तो आत्मा से आत्मा का मिलन होता है.