अब NEET परीक्षा के दौरान डायपर का यूज कर सकती है लड़कियां, मद्रास हाई कोर्ट ने दी अनुमति
मद्रास हाई कोर्ट ने NEET की परीक्षा देने वाली लड़कियों को बड़ी राहत दी है. हाई कोर्ट ने 5 मई को फैसला सुनाया है कि लड़किया परीक्षा के दौरान डायपर का इस्तेमाल कर सकती है. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर बदलने की भी अनुमति दी है.
मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी को एक 19 वर्षीय छात्रा को 5 मई को एनईईटी-यूजी परीक्षा के दौरान डायपर पहनने और आवश्यकता पड़ने पर इसे बदलने की अनुमति दी है. यह फैसला न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन ने पारित किया है. हाई कोर्ट ने यह फैसला छात्रा के मेडिकल कंडीशन को देखते हुए लिया है.
मद्रास हाई कोर्ट ने इस फैसले को सुनता हुए ये कहा कि, हर परीक्षा केंद्र में पानी की सुविधा के साथ-साथ शौचालय की सुविधा भी होनी चाहिए. इसके अलावा कोर्ट ने ये भी निर्देश दिए कि, शौचालय के पास सैनिटरी उपलब्ध हो ताकि बिना तैयारी के आने वाली किसी भी महिला उम्मीदवार को परेशानी का सामना न करना पड़े.
अब NEET परीक्षा के दौरान डायपर का यूज कर सकती है लड़कियां
मद्रास हाई कोर्ट ने अपने एक छात्रा के मामले पर सुनवाई करने के दौरान कहा कि, अगर इस याचिका को खारिज कर दिया जाता ह तो वह परीक्षा नहीं दे पाएगी. इससे भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 द्वारा निषिद्ध है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने परीक्षा के दौरान परीक्षार्थी की तलाशी से बचने के लिए परीक्षा केंद्रों में शौचालयों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया. अदालत ने परीक्षा का हवाला देते हुए प्रवेश के दौरान जांच करने वाले टीम को इन प्रावधानों के बारे में जागरूक करने का भी निर्देश दिया ताकि परीक्षा देने वाले छात्रों को तनाव महसूस न हो.
आर्टिकल 15 (3) के तहत हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला
कोर्ट ने कहा है कि संविधान के आर्टिकल 15 (3) में राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए जरूरत पड़ने पर खास सुविधाएं देने का अधिकार है. ऐसे में इस कैंडिडेट को डायपर के साथ एग्जाम देने की परमिशन दी जा सकती है. केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि फीमेल कैंडिडेट्स के लिए NTA को ड्रेस कोड में सैनेटरी नैपकिन भी शामिल करना चाहिए ताकि उन्हें चेकिंग के दौरान बेवजह परेशानी न हो.
परीक्षा के दौरान किए जाने वाले 'जांच' को हाई कोर्ट ने बताया बेतुकी
न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने कहा, "याचिकाकर्ता की आशंका को गलत या निराधार कहकर खारिज नहीं किया जा सकता था. एनईईटी हर साल पूरे देश में आयोजित की जाती है. हमने पढ़ा है कि परीक्षा हॉल में परिवेश के दौरान उम्मीदवारों की अनिवार्य तलाशी कभी-कभी बेतुकी सीमा तक ले जाया जाता है. केरल में , एक बार एक लड़की को पूरा कपड़ा उतारने के लिए कहा गया, खासकर लड़कियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा.''
क्या है मामला
दरअसल, यह मामला एक 19 साल की लड़की आकांक्षा का है जिसका न्यूरोजेनिक ब्लैडर का इलाज चल रहा है. इस बीमारी में इंसान का दिमाग शरीर को यूरिन पास करने का सिग्नल नहीं दे पाता. यही वजह है कि उसे सेनेटरी पैड पहनना पड़ता है और उसे समय समय पर चेंज भी करना पड़ता है. हालांकि नीट परीक्षा के दौरान कड़ी जांच पड़ताल के बाद परीक्षा हॉल में प्रवेश करने दिया जाता है. इन्ही सबको देखते हुए छात्रा ने हाई कोर्ट का रुख किया ताकि वह परीक्षा दे पाए.