अब पॉल्यूशन और जाम दोनों से मिलेगा छुटकारा, ट्रैफिक कंट्रोल के इस प्लान से होगा समस्या का समाधान
No More Pollution in Delhi-NCR : दिल्ली-एनसीआर अपने पॉल्यूशन तो बेंगलुरू अपने ट्रैफिक जाम की समस्या के लिए देश-दुनिया में बदनाम है. दोनों शहरों की समस्याओं से निबटने के लिए ट्रैफिक कंट्रोल का ऐसा प्लान बनाया गया है, जो 'एक तीर से दो शिकार' करने जैसा होगा.
No More Pollution in Delhi-NCR : दिल्ली और बेंगलुरू में इन दिनों हवा की गुणवत्ता बहुत खराब है, खासकर दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 से ऊपर बना हुआ है. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण और बेंगलुरू में ट्रैफिक की समस्या दोनों ही बड़ी समस्याएं हैं, और इनका मुख्य कारण शहरों में बढ़ता हुआ ट्रैफिक और उसका सही तरीके से प्रबंधन न होना है. इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए एक नया प्लान तैयार किया गया है, जो ट्रैफिक कंट्रोल और प्रदूषण कम करने में मदद करेगा.
केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले 'डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड' (DPIIT) ने दिल्ली और बेंगलुरू के लिए 'मॉडल सिटी लॉजिस्टिक प्लान' तैयार किया है. इस योजना से ट्रैफिक कंट्रोल में सुधार होगा, जिससे वाहन से होने वाला प्रदूषण कम होने की उम्मीद है.
कैसे काम करेगा यह प्लान?
इस प्लान के तहत, शहरों में बाहर से आने वाले बड़े ट्रकों से लेकर छोटे ट्रकों तक की लॉजिस्टिक व्यवस्था को बेहतर बनाया जाएगा. इससे ट्रैफिक मैनेजमेंट में सुधार होगा और लोग आसानी से अपनी जरूरत की चीजें मंगवा सकेंगे. इसके अलावा, लॉजिस्टिक खर्च भी घटेगा.
जर्मनी की मदद से तैयार हुआ प्लान
इस प्लान को तैयार करने में भारत को जर्मनी की मदद मिली है. भारत और जर्मनी के बीच हुए तकनीकी सहयोग के तहत 'डॉयशे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनल जुसामेनरबीट' (जीआईजेड) ने इस प्लान को तैयार किया है. इसमें दुनिया भर में उपयोग की जाने वाली बेहतरीन तकनीकों को शामिल किया गया है, और इसमें राज्य सरकारों का भी सहयोग प्राप्त हुआ है.
क्या होगा फायदा?
अधिकारियों का कहना है कि इस प्लान से शहरों में प्रदूषण और भीड़भाड़ कम होगी, साथ ही लोगों की जीवन गुणवत्ता में भी सुधार होगा. यह योजना लॉजिस्टिक खर्चों को भी घटाएगी. डीपीआईआईटी के अतिरिक्त सचिव राजीव सिंह ठाकुर के अनुसार, दिल्ली और कर्नाटक सरकारों ने इस योजना को तैयार करने में पूरा सहयोग किया है. यह एक मॉडल प्लान है, जिसे भविष्य में अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकेगा. यह योजना भारत के 2070 तक 'जीरो कार्बन' देश बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी.