उमर अब्दुल्ला ने भाजपा की नीतियों पर उठाए सवाल, श्रीनगर में कम मतदान के लिए ठहराया जिम्मेदार

Srinagar: उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में कम मतदान को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति केंद्र की नीतियों का नतीजा है और लोग इस बार ज्यादा वोटिंग करने के लिए प्रेरित नहीं हैं. अब्दुल्ला का कहना है कि केंद्र ने विदेशी राजनयिकों को बुलाकर गलती की, जिससे मतदाता निराश हुए. जानें इस विवादास्पद स्थिति में और क्या कहा उन्होंने!

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Srinagar: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के दूसरे चरण में मतदान का दौर चल रहा है लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में कम मतदान को लेकर अपनी चिंताओं का इजहार किया है. उन्होंने कहा कि इस कम वोटिंग का कारण केंद्र की नीतियां और उनकी कार्यशैली हो सकती हैं.

उमर अब्दुल्ला ने 26 सितंबर को हुए मतदान के दौरान श्रीनगर जिले में 56 प्रतिशत से अधिक मतदान की तुलना में पहले चरण में हुए 61.38 प्रतिशत मतदान को ध्यान में रखते हुए कहा कि यह आंकड़ा निराशाजनक है. उन्होंने इस स्थिति को केंद्र के प्रयासों का परिणाम बताया, जो सामान्य स्थिति को दिखाने के लिए काम कर रहे हैं.

उन्हें यह समझ में आया कि लोग केंद्र के रुख से नाराज हैं और शायद यही कारण है कि उन्होंने कम मतदान किया. उन्होंने कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो, मैं अधिक मतदान की उम्मीद कर रहा था. यहां कोई बहिष्कार का आह्वान नहीं था और न ही मतदाताओं को किसी प्रकार का डर था.'

केंद्र को जिम्मेदार ठहराना

उमर ने केंद्र को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्होंने मतदान को एक सामान्य स्थिति के संकेत के रूप में पेश किया है जैसे लोग अनुच्छेद 370 के रद्द होने को स्वीकार कर चुके हैं. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र ने विदेशी राजनयिकों को कश्मीर में मतदान देखने के लिए आमंत्रित करके एक बड़ी गलती की है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि लोग यह नहीं चाहते थे कि उनका इस्तेमाल इस तरह किया जाए. इसलिए उन्होंने कम मतदान किया. फिर भी उन्होंने उन लोगों का धन्यवाद किया है जो वोट देने आए है, चाहे उन्होंने किसी भी पार्टी को वोट दिया हो.

भविष्य की उम्मीदें

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अब वह 1 अक्टूबर को तीसरे चरण के मतदान वाले क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे. उन्होंने बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा के मतदाताओं से उत्साहपूर्वक मतदान की अपील की. उमर ने उम्मीद जताई कि जहां एनसी ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, वहां लोग कांग्रेस को वोट देंगे.

इस तरह की स्थिति ने चुनावी माहौल में हलचल पैदा कर दी है और आने वाले दिनों में वोटिंग प्रतिशत में सुधार की उम्मीद की जा रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उमर अब्दुल्ला की अपीलों का असर पड़ेगा और लोग मतदान में अपनी भागीदारी बढ़ाएंगे या नहीं.

इस बार के चुनावों में उमर अब्दुल्ला की चिंताएं गंभीर हैं. कम मतदान का यह मामला न केवल चुनावी प्रक्रिया के लिए, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है जो यह दिखाता है कि लोगों का विश्वास और उनकी भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण है और इसे बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाने की आवश्यकता है.  First Updated : Thursday, 26 September 2024