उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया!
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में उपराज्यपाल से मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया है. उनके नेतृत्व में कांग्रेस और अन्य दलों का गठबंधन 48 सीटें जीत चुका है. लेकिन बीजेपी की 29 सीटों के साथ स्थिति क्या होगी? क्या यह नई सरकार राज्य में स्थिरता ला पाएगी? पूरी जानकारी जानने के लिए पढ़ें!
Omar Abdullah Strong Claim: नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार शाम को श्रीनगर के राजभवन में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की और जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया. यह मुलाकात राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां नेशनल कॉन्फ्रेंस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठबंधन विधानसभा चुनाव में सफल रहा है.
इस बार के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने 48 सीटें जीतीं. यह जीत इन पार्टियों के लिए बहुत मायने रखती है, खासकर जब जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति काफी संवेदनशील है. इसके विपरीत, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 29 सीटें जीतीं, जिनमें 28 हिंदू और एक सिख सदस्य शामिल हैं. हालांकि, पार्टी के किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को जीत नहीं मिली, जिसमें दो पूर्व मंत्री भी शामिल थे.
#WATCH | Srinagar: After meeting LG Manoj Sinha, Jammu and Kashmir National Conference Vice President Omar Abdullah says, "I met the LG and handed over letters of support that I have received from the Congress, CPM, AAP and independents. I requested him to fix a date for the… pic.twitter.com/ecF6EBgCur
— ANI (@ANI) October 11, 2024
सरकार बनाने की प्रक्रिया
उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल से कहा कि उन्होंने विभिन्न पार्टियों के समर्थन पत्र सौंपे हैं, जिनमें आम आदमी पार्टी, सीपीआई (एम) और कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल हैं. उन्होंने उपराज्यपाल से एक तारीख तय करने का अनुरोध किया ताकि निर्वाचित सदस्य शपथ ले सकें और नई सरकार काम करना शुरू कर सके. यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह दर्शाता है कि अब्दुल्ला अपनी पार्टी के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में स्थिरता लाने का प्रयास कर रहे हैं.
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों के बीच की खाई और भी गहरी होती जा रही है. जहां एक तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन मजबूती के साथ उभर रहा है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी को मुस्लिम समुदाय का समर्थन नहीं मिलने से नुकसान उठाना पड़ा है. यह स्थिति राजनीतिक समीकरणों को बदल सकती है और आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति को नया मोड़ दे सकती है.
उमर अब्दुल्ला का यह कदम जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य को नया आकार दे सकता है. अब देखना होगा कि उपराज्यपाल किस तारीख को नई सरकार के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं. क्या ये नया गठबंधन जम्मू-कश्मीर की समस्याओं का समाधान कर पाएगा? यह सवाल अब सभी की जुबान पर है.