वन नेशन-वन इलेक्शन पर छिड़ी राजनीतिक बहस, संविधान और लोकतंत्र पर उठे सवाल

वन नेशन-वन इलेक्शन प्रस्ताव ने राजनीतिक गलियारे में हंगामा खड़ा कर दिया है. खड़गे इसे संविधान के खिलाफ मानते हैं, जबकि ओवैसी का कहना है कि अलग-अलग चुनावों से कोई समस्या नहीं. टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन इसे बीजेपी का सस्ता हथकंडा बताते हैं, जबकि मांझी और मायावती इसे जनहित में बताते हैं. क्या यह प्रस्ताव भारत में चुनावी स्थिरता लाएगा या विरोध इसे खत्म कर देगा

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One Nation One Election: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के प्रस्ताव को संविधान के खिलाफ करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा है बल्कि संघवाद की मूल भावना को भी कमजोर करता है. खड़गे ने आरोप लगाया कि बीजेपी ऐसे विवादित मुद्दों को उठाकर आम जनता का ध्यान भटकाना चाहती है. उनका कहना है कि इस प्रस्ताव का देश में कोई स्थान नहीं है और यह भारतीय लोकतंत्र की धारा के खिलाफ है.

ओवैसी का बयान

असदुद्दीन ओवैसी ने भी 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के खिलाफ अपनी आवाज उठाई. उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें अलग-अलग चुनावों से कोई समस्या नहीं है. ओवैसी के अनुसार, पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को छोड़कर अन्य नेताओं को इस मुद्दे पर कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से लोकतांत्रिक जवाबदेही बढ़ती है और यह नागरिकों के लिए फायदेमंद है.

डेरेक ओ ब्रायन का सवाल

टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इस प्रस्ताव को बीजेपी का एक और 'सस्ता हथकंडा' बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है. उन्होंने सवाल उठाया कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावों को लेकर महाराष्ट्र के चुनावों की घोषणा क्यों नहीं की गई. ब्रायन ने यह भी पूछा कि क्या राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को कम या बढ़ाने के लिए कोई संवैधानिक संशोधन किए जाएंगे.

जीतन राम मांझी का समर्थन

NDA के सहयोगी पार्टी HAM के प्रमुख जीतन राम मांझी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि लगातार चुनावों की प्रक्रिया से देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है, जिससे नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं.  मांझी ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को एक सकारात्मक कदम बताया, जो कि दलित मतदाताओं के लिए भी फायदेमंद होगा.

मायावती की सकारात्मक दृष्टि

बसपा प्रमुख मायावती ने इस प्रस्ताव को सकारात्मक बताया, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य जनहित में होना चाहिए. उनके अनुसार, इस प्रकार की व्यवस्था से राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी, बशर्ते कि इसका सही तरीके से कार्यान्वयन हो.

दरअसल 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का प्रस्ताव राजनीतिक मंच पर बहस का कारण बन गया है. विपक्षी दलों ने इस पर गंभीर चिंता जताई है, जबकि कुछ सहयोगी दलों ने इसे समर्थन दिया है. इस प्रस्ताव पर आगे की चर्चा संसद में होना तय है और यह देखना होगा कि यह किस दिशा में बढ़ता है.

First Updated : Wednesday, 18 September 2024