BJP को मिला छटक रहे सहयोगियों का साथ, अब नीतीश-चिराग के समर्थन से होगा फैसला

One Nation One Election: पिछले कुछ दिनों में सरकार के कई फैसलों से अलग नजर आ रहे एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान की एलजेपी अब सरकार के सुर में सुर मिलाने को तैयार हैं. दोनों दलों ने एक राष्ट्र एक चुनाव के मुद्दे पर BJP के रुख का समर्थन किया है. इस कारण अब कहा जा रहा है कि BJP को छटक रहे सहयोगियों का साथ मिल रहा है.

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One Nation One Election: पिछले कुछ दिनों से अपनो का ही विरोध झेल रहे भारतीय जनता पार्टी की राह अब थोड़ी आसान होती नजर आ रही है. कई मुद्दों पर NDA सरकार से अलग रुख रखने वाले सहयोगी अब BJP के समर्थन में आ रहे हैं. सरकार के मुख्य सहयोगी नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान की एलजेपी ने एक राष्ट्र एक चुनाव के मुद्दे सरकार का खुला समर्थन किया है और इसे देश के हित में बताया है. इससे ये भी माना जा रहा है कि अब भाजपा को उसके छटक रहे सहयोगियों का साथ मिल रहा है.

बता दें अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में PM मोदी ने एक चुनाव का समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि लगातार चुनाव देश की प्रगति में बाधा डालते हैं. इसके साथ ही बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान एक राष्ट्र-एक चुनाव योजना को लागू करने का वादा किया था.

JDU ने समर्थन में क्या कहा?

सोमवार को जारी एक बयान में जेडी(यू) ने कहा कि बीजेपी की यह योजना यानी एक राष्ट्र एक चुनाव पहले भी देश में प्रचलित था. 1967 तक इसी प्रणाली के तहत देश में चुनाव कराए गए थे. इससे तेजी से विकास के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सकती है.

पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि लगातार चुनाव देश की प्रगति में बाधा डालते हैं. चुनावों पर बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन खर्च होता है. जेडी(यू) एनडीए के एक राष्ट्र-एक चुनाव की योजना का पूरा समर्थन करता है. इससे न केवल लगातार होने वाले चुनावों से मुक्ति मिलेगी, बल्कि केंद्र स्थिर नीतियों और साक्ष्य-आधारित सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा.

LJP ने  समर्थन में क्या कहा?

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय पांडे ने कहा कि हम पूरी तरह से एक राष्ट्र-एक चुनाव के समर्थन में हैं. हम मानते हैं कि देश के किसी न किसी हिस्से में पूरे साल होने वाले चुनाव न केवल सरकारी परियोजनाओं की योजनाओं और उनके कार्यान्वयन पर भारी असर डालते हैं. इसमें भारी मात्रा में खर्च भी होता है. ये जनता के जेब पर नुकसान की तरह है.

First Updated : Tuesday, 17 September 2024