2024 में मोदी को हराने के लिए विपक्ष का ये है 'सीक्रेट प्लान'
23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक होने जा रही है। इस बैठक को 2024 लोकसभा चुनाव के पहले विपक्षी एकता के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है।
हाइलाइट
- पटना में अब 23 जून को होगी विपक्षी दलों की बैठक
- नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी एकता का जमावड़ा
- बैठक से 2024 चुनावी महासमर की तस्वीर होगी साफ
Opposition Meet In Patna: पटना के रामलीला मैदान में 23 जून को विपक्ष का जमावड़ा लगने वाला है। इस महाबैठक के जरिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्ष को एक मंच पर लाने की मुहीम में जोर-शोर से जुटे हुए है। इस बैठक में देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस पार्टी से लेकर क्षेत्रीय दलों के सियासी क्षत्रप हिस्सा लेने वाले है। ऐसे में चुनाव से पहले होने वाली इस बैठक से 2024 के चुनावी महासमर की तस्वीर साफ होने उम्मीद जताई जा रही है।
इस बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी,कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे,ममता बनर्जी,उद्धव ठाकरे,शरद पवार, केजरीवाल,हेमंत सोरेन,स्टालिन,अखिलेश यादव,महबूबा मुफ्ती,फारूक अब्दुल्ला शामिल होंगे। इसके अलावा इस बैठक में लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी, डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य हिस्सा लेगें। तो वहीं इस एकता बैठक में तेलंगाना के सीएम केसीआर और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक नहीं शामिल होंगे।
BJP के खिलाफ बड़े मोर्चें की तैयारी में विपक्ष
बीजेपी के खिलाफ बड़े मोर्चें की तैयारी कर रहा विपक्ष मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने जो मास्टर प्लान तैयार किया है। इस बैठक में उस एजेंडे पर सभी विपक्षी दल चर्चा करेगे। लेकिन सभी क्षेत्रीय पर्टियों के अपने अपने सूबे में एक दूसरे के खिलाफ सियासी मजबूरियां है। ऐसे में देखना ये दिलचस्प होगा कि वो आपसी मतभेद भूलकर एक साथ किस रणनीति को खिलाफ बीजेपी को चुनावी मात देत है।
क्षेत्रीय दल और कांग्रेस पार्टी की आपसी अनबन एकता में बनेगी बाधा
बंगाल में एक दूसरे की मुखालफत कर रहे कांग्रेस पार्टी और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ बैठेंगे तो दोनों के लिए सियासी बातों को भुलाना आसान होगा। इसके साथ ही बैठक में शामिल होने आ रहे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी कांग्रेस की नहीं बन रही हैं। बीते दिनों आम आदमी पार्टी नेता ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश के मसले पर कांग्रेस से समर्थन मांगा था लेकिन कांग्रेस चुप्पी साध गई। इसके साथ ही केजरीवाल कांग्रेस पर हमला करने का कोई मौका चूक नहीं रहे हैं।
नीतीश कुमार का लक्ष्य BJP को 100 सीयों पर हराना
नीतीश कुमार बार-बार इस बात को दोहराते रहे हैं कि उन्हें बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना है। इसके लिए उन्हें सिर्फ 100 सीटों पर बीजेपी को हराना है। इसके लिए जरूरी है कि ऐसे राज्य जहां क्षेत्रीय पार्टी की सरकार है, वहां महागठबंधन बनाया जाए और बीजेपी के खिलाफ बस एक उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाए। इसमें मुख्य रूप से यूपी की 80, बिहार की 40, बंगाल की 42, महाराष्ट्र की 48, दिल्ली 7, पंजाब की 13 और झारखंड की 14 लोकसभा सीटें शामिल हैं।
क्या बरकरार रह पाएगी विपक्षी एकता
जेडीयू, टीएमसी, उद्धव गुट की शिवसेना, सपा और आरएलडी जैसी राजनीतिक पार्टियों का प्रभाव केवल अपने राज्य में सीमित है। यानी दूसरों राज्यों में सहयोगी दलों को जीत दिलाने में उनकी भूमिका कुछ खास नहीं रहेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या क्षेत्रीय दल बड़ी पार्टियों को कैसे मदद पहुंचा पाएंगी ? क्या क्षेत्रीय पार्टियां अपने राज्य में सीटें बांटने के लिए तैयार होंगी ? सीटों के बंटवारे का ऐसा क्या फॉर्मूला होगा, जिससे विपक्षी एकता बरकरार रहेगी।