Osho Death Anniversary : आज है ओशो की पुण्यतिथि, जानिए क्या हुआ मौत के आखिरी 5 घंटों में
Osho : आज महान दार्शनिक ओशो रजनीश की पुण्यतिथि है. 19 जनवरी, 1990 को पुणे में निधन हो गया था. आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हर कोई उन्हें याद कर रहा है.
Osho : आज संग-सतगुरु और महान दार्शनिक के नाम से जाने वाले ओशो रजनीश की पुण्यतिथि है. ओशो विचारक और एक आध्यात्म के लिए जाने जाते हैं. लेकिन कभी भी वह विचार धर्म का हिस्सा नहीं रहे हैं. ओशो का मध्य प्रदेश में 11 दिसंबर, 1931 को एक जैन परिवार में जन्म हुआ था. वह आगे चलकर भगवान रजनीश के नाम से प्रसिद्ध हुए. 19 जनवरी, 1990 को पुणे में निधन हो गया था. आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हर कोई उन्हें याद कर रहा है. आज उनकी की मौत के आखिरी 5 घंटों के बारे में जानेंगे.
ओशो तैरते-तैरते हुए लापता
ओशो को नहाना बहुत पसंद था. वह सुबह 5 बजे ठंडे पानी से नहाते थे. एक बार नरसिंहपुर और गाडरवाड़ा के तैराकों के बीच प्रतियोगिता था चंद्र मोहन यानी ओशो भी उसनें शामिल हुए थे. वह तैराक करते समय घंटों तैकते रहे और लापता हो गए. फिर पुलिस ने जांच की और कुछ पता नहीं चला. इसके बाद तीसरे दिन ओशो अपने घर पहुंचे और लोगों ने पूछा कहा थे तो उन्होंने हंसकर कहा तैर रहे थे.
मौत के आखिरी 5 घंटे
ओशो 19 जनवरी 1990 को पुणे के आश्रम के लाओसे हाउस में थे और वहीं पर उन्होंने अपना देह त्याग दिया था. इस आश्रम में 80 साल के डॉक्टर गोकाने भी मौजूद थे. उनका आरोप था कि ओशो की मौत के पांच घंटे पहले उनके आश्रम में कई रहस्यमयी घटनाएं हुई थीं. इस संबंध में कोर्ट में एक एफिडेविट भी पेश किया गया था. जिसमें कहा गया कि जिस दिन ओशो की मृत्यु हुई थी, उस दिन वे घर में थे.
आश्रम में मिलेने आए थे स्वामी चितिन
दिन में 1 बजे ओशो के करीबी स्वामी जयेश के प्राइवेट सेक्रेटरी स्वामी चितिन उन्हें लेने आए थे. चितिन ने कहा कि वे अपना लेटर हैड और मेडिकल किट साथ में रख लें. इसके बाद चितिन गोकाने को स्वामी जयेश को लेकर रूम में गए और जयेश ने कहा कि डॉक्टर अमृतो आपके पास आएंगे, फिर अमृतो आए और कहने लगे ओशो मर रहे है. उन्होंने मुझे गले लगाया और मैं भी होने लगा.