Owaisi Questions: लोकसभा में शनिवार को भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा हुई. इस मौके पर एआईएमआईएम के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले किए. ओवैसी ने धार्मिक स्वतंत्रता, वक्फ संपत्तियों और उर्दू भाषा के मुद्दे पर सरकार की नीतियों की आलोचना की.
संविधान का अनुच्छेद 25 और धार्मिक स्वतंत्रता का सवाल
ओवैसी ने अपने भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को संविधान का अनुच्छेद 25 और 26 पढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'अनुच्छेद 25 हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है और अनुच्छेद 26 धार्मिक समूहों को अपने धार्मिक और धर्मार्थ संस्थान स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने का हक देता है. लेकिन सरकार वक्फ की संपत्तियों को छीनने की कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री कहते हैं कि वक्फ का संविधान से कोई लेना-देना नहीं है. ये सरासर गलत है.'
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का हवाला देते हुए पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का भी जिक्र किया. ओवैसी ने पूछा, 'अगर हम संसद की खुदाई करें और कुछ मिल जाए, तो क्या वह हमारी हो जाएगी? ये सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं कि 500 साल पहले मस्जिद थी या नहीं.'
उर्दू भाषा और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर सवाल
ओवैसी ने भाषाई स्वतंत्रता के मुद्दे पर अनुच्छेद 29 का हवाला देते हुए कहा, 'उर्दू को खत्म किया जा रहा है. यह वही भाषा है जिसमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा दिया था. भाजपा उर्दू को खत्म कर हिंदुत्व संस्कृति को बढ़ावा देना चाहती है.' उन्होंने भाजपा के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर भी सवाल उठाए. ओवैसी ने कहा, 'यह भारत का राष्ट्रवाद नहीं है, यह हिंदुत्व का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है. भारत के असली राष्ट्रवाद का इससे कोई लेना-देना नहीं.'
वक्फ संपत्तियों पर विवाद
ओवैसी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार वक्फ की संपत्तियों को जबरदस्ती छीनने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, 'संविधान वक्फ संपत्तियों को धार्मिक और धर्मार्थ कार्यों के लिए बनाए रखने की बात करता है. लेकिन सरकार इसे खत्म करने पर तुली है. यह संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता दोनों के खिलाफ है.'
संविधान के संरक्षण की जरूरत
ओवैसी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि संविधान की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ कर रही है. 'प्रधानमंत्री को संविधान का सही अर्थ और उसकी भावना को समझने की जरूरत है,' उन्होंने कहा. असदुद्दीन ओवैसी का यह भाषण न केवल सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है, बल्कि धार्मिक और भाषाई स्वतंत्रता जैसे अहम मुद्दों की ओर भी ध्यान दिलाता है. उनके तीखे सवाल और आरोप लोकसभा की चर्चा को और भी गंभीर बना गए. First Updated : Saturday, 14 December 2024