दिल्ली चुनाव में ओवैसी की एंट्री, 10 सीटों पर की चुनावी दावेदारी, सिसोदिया की बढ़ी मुश्किलें
Delhi Assembly Elections: ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी देशभर में अपनी पहचान बनाने में लगी है. इस पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए करीब 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. ओवैसी की मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगने से केजरीवाल की जीत की संभावना पर असर पड़ सकता है.
Delhi Assembly Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार एक नई राजनीतिक चुनौती सामने आ रही है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी ने दिल्ली में करीब 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. ओवैसी उन इलाकों में अपनी उम्मीदवार उतार रही है जहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या ज्यादा है. ओवैसी की इस रणनीति को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है.
कहा जा रहा है कि इस राजनीतिक उलझन से 'आप' को बड़े चुनावी नुकसान हो सकती है. बता दें कि ओवैसी की रणनीति से मुस्लिम वोटों के बंट जाएंगे जिससे केजरीवाल को नुकसान होने की संभावना है. इससे अरविंद केजरीवाल की पार्टी 'आप' को नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि मुस्लिम वोटों के बंटने से पार्टी की सीटों की संख्या घट सकती है.
मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में ओवैसी
एआईएमआईएम ने मुस्तफाबाद और ओखला से अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. मुस्तफाबाद से ताहिर हुसैन और ओखला से शफाउर रहमान खान चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा, पार्टी अन्य क्षेत्रों में भी अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है जिसमें बाबरपुर, बल्लिमारान, चांदनी चौक, और जंगपुरा जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
मनीष सिसोदिया के लिए चुनौती
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि एआईएमआईएम के उम्मीदवारों से दिल्ली में मुस्लिम वोट बंटने का खतरा पैदा हो सकता है, जिससे 'आप' को नुकसान हो सकता है. खासतौर पर तीन सीटों पर ओवैसी की पार्टी का प्रभाव ज्यादा हो सकता है, जिसमें मनीष सिसोदिया (जंगपुरा), गोपाल राय (बाबरपुर), और अमानतुल्लाह खान (ओखला) के लिए चिंता की बात बन सकती है.