Explainer : बिहार के अलावा दुनिया के इस देश में होता है लड़कियों का पकड़ौवा विवाह, जानिए कितनी खतरनाक है ये सामाजिक बुराई

Pakdauva vivah : पकड़ौआ विवाह भारत में बिहार में एक सामाजिक बुराई के तौर पर देखा जाता है, लेकिन भारत के अलावा दुनिया में एक देश ऐसा है जहां इसका चलन है. यहां लड़की अपनी पसंद की लड़की को जबरन पकड़ कर अपहरण कर लेते हैं और उनको साथ जबरन शादी करवा दी जाती है. अगर लड़की ऐसा करने से मना करता है तो उसके साथ मारपीट और ज्यादाती की जाती है.

Pankaj Soni
Pankaj Soni

भारत के राज्य बिहार में पकड़ौवा विवाह सामाजिक बुराई है, जिसकी खबरें बीच- बीच में मीडिया में आती रहती हैं. बिहार में हाल ही में पकड़ौवा विवाह को लेकर खबरें आई थीं, जिन पर पुलिस ने आपराधिक मामले भी दर्ज किए हैं. इसके बाद पूरे देश में चर्चा होने लगी कि किन राज्यों में इस तरह के अपराध होते हैं. सवाल भी खड़ा हुआ कि पकड़ौवा विवाह जैसी सामाजिक बुराई केवल भारत में है या फिर दुनिया के और किसी देश में ऐसा होता है. हमने इसके बारे में पड़ताल की तो हमें कुछ जानकारी मिली, जिसको आपको साथ साझा करते हैं. दरअसल मध्य एशिया में एक देश किर्गिस्तान में यह सामाजिक बुराई आम है. आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं.  


पकड़ौआ विवाह क्या होता है?

पकड़ौआ विवाह भारत में खासकर बिहार में एक सामाजिक बुराई है. इसमें पढ़े-लिखें अच्छे पदों पर बैठे या फिर कुलीन और धानाड्ढ परिवार के जवान लड़कों का अपहरण कर उनकी जबरन शादी करवा दी जाती है. बिहार शिक्षित और नौकरीपेशा लड़कों से शादी के लिए दहेज खूब मांगा जाता है. इसी कारण यह प्रथा यहां प्रचलित है.  

अब भारत के अलावा दुनिया के किन देशों में पकडौवा विवाह प्रचलित है इसके बारे में चर्चा करते हैं. दरअसल मध्य एशिया में एक देश किर्गिस्तान है. लड़कियों का पकडौवा विवाह होता है. लड़कियों को किडनैप करके उनका रेप किया जाता है. फिर उनकी जबरन शादी करवा दी जाती है. इस शादी के बाद लड़कियां सेक्स स्लेव और घर-खेत के कामों के लिए मजदूर बनकर रह जाती हैं. ऐसा सबसे खराब बात यह है कि लड़की के घरवाले चाहकर भी ऐसी लड़की को दोबारा नहीं अपना सकते.

हर 5 में से 1 लड़की का अपहरण

Thomson Reuters Foundation की एक खबर के अनुसार किर्गिस्तान में हर 5 में से 1 लड़की को शादी के लिए अगवा कर लिया जाता है. इस तरह की रोज 30 से ज्यादा शादियां होती हैं. यानी हर 40 मिनट में एक लड़की का अपहरण हो जाता है. इस प्रथा का नाम है ala kachuu यानी उठाओ और भाग जाओ है. United Nations Population Fund की रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर मामलों में लड़की को अगवा कर उसका रेप किया जाता है और फिर शादी की जाती है ताकि चाहकर भी परिवार उसे अपना न सके.

साल 2013 में किर्गिस्तान में दुल्हनों का अपहरण और साल 2016 में बाल विवाह पर प्रतिबंध लग चुका है. तत्कालीन राष्ट्रपति Almazbek Atambayev ने इस पर 10 साल जेल की सजा तय की है. इसके बावजूद इस देश में हर साल करीब 12 हजार लड़कियां शादी के लिए उठा ली जाती हैं. देश में महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए काम कर रही संस्था  Women’s Support Centre के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं.

अर्थव्यवस्था की खराब हालात

सोवियन यूनियन के खत्म होने के बाद से इस देश की अर्थव्यवस्था की हालात खराब है. कमजोर अर्थव्यवस्था इस जबरिया शादी की एक वजह है. अगर शादियों की बात करें तो अन्य देशों की तरह यहां शादी काफी धूमधाम से की जाती है. चूंकि खर्चों के लिए पैसे नहीं हैं तो लड़कियां अगवा की जा रही हैं ताकि दोनों तरफ का ही खर्च बच जाए. सामाजिक शर्म के अलावा ये भी एक वजह है कि लड़की का परिवार पुलिस में शिकायत नहीं करता है. अगर लड़की विरोध करती है तो उसे मार दिया जाता है. Burulai Turdaaly Kyzy नाम की एक मेडिकल स्टूडेंट को शादी को न मानने के कारण जान से हाथ धोना पड़ा था. 

सफेद स्कॉर्फ का क्या मतलब होता है?

लड़के अपनी पसंद की गैर शादीशुदा लड़की से एक बार पूछते हैं और अगर उसने मना कर दिया तो जबर्दस्ती उसे उठा लेते हैं. घर पर लड़की पर लड़के का पूरा परिवार अत्याचार करता है. विरोध करने पर रेप और मारपीट आम बात है. लड़की को पकड़कर उसके सिर पर जबर्दस्ती एक सफेद स्कार्फ बांध दिया जाता है, जिसका मतलब है कि लड़की शादी के लिए राजी हो गई है.

कम उम्र की लड़कियों को उठाते हैं

पकड़ौवा विवाह के लिए उठाई गई ज्यादातर लड़कियां कम उम्र की होती हैं. यही कारण है कि इस देश में जन्म देते समय मांओं की मौत बहुत आम है. पूरे मध्य एशिया को देखें तो किर्गिस्तान में highest maternal mortality rate सबसे ऊपर है. मां बच भी जाए तो बच्चे की सेहत खराब रहती है. कम वजन का बच्चा होने जैसी बीमारी यहां देखने को मिलती है. इसकी वजह मांओं का कम उम्र का होना और बेहद तनाव में रहना माना जा रहा है.

दुल्हन चुनकर उनसे जबर्दस्ती शादी और मजदूरी करवाना यहां इतना आम है कि किर्गिस्तान संसद की सबसे युवा महिला सांसद Aida Kasymalieva ने जब ब्राइड किडनैपिंग का मुद्दा संसद में उठाया तो कई सदस्य उठकर बाहर चले गए. Reuters की खबर में इसका जिक्र मिलता है. अला कचू ( किर्गिज़) में सहमति से भागने से लेकर गैर-सहमति से अपहरण तक शामिल है. सोवियत काल के दौरान इस प्रथा को दबा दिया गया था, लेकिन सोवियत संघ के पतन के बाद फिर से उभरने लगा. कभी-कभी अपहरण महज एक शादी की औपचारिकता हो सकती है, जहां महिला स्वेच्छा से आती है.

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29 December 2023, 07:08 PM IST

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