Panaji Court Order: दस साल बाद पणजी की एक अदालत ने इंजीनिय देवू चोडनकर को बरी कर दिया है. इसने 2014 के आम चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर कई पोस्ट की थी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपों को साबित करने में विफल रहने के कारण संदेह का लाभ अभियुक्त को दिया जाना चाहिए. इसका एक बड़ा कारण शिकायतकर्ता अतुल पाई काणे की गवाही रही.
मामले में अतुल पाई काणे (उद्योगपति और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के पूर्व राज्य अध्यक्ष) ने चोडनकर के खिलाफ साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि, उन्होंने अदालत के समक्ष यह बयान दिया कि वह अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं.
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी 'एफ' अदालत की न्यायाधीश अंकिता नागवेंकर ने अपने फैसले में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अतुल पाई काणे ने शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन अपनी गवाही के दौरान उन्होंने अदालत के समक्ष यह बयान दिया कि वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं और यह बयान उन्होंने अपनी स्वतंत्र इच्छा से दिया है. उनपर किसी तरह को कोई दबाव नहीं था.
जज ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची हूं कि अभियुक्त को संदेह का लाभ मिलना चाहिए. अभियोजन पक्ष शिकायतकर्ता की गवाही के कारण अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने में असमर्थ रहा है.
चोडनकर पर विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने और धार्मिक विश्वासों का अपमान करने के आरोप थे. जांच अधिकारी राजेश जॉब ने गवाही दी कि उस समय के साइबर क्राइम एसपी कार्तिक कश्यप ने फेसबुक और उत्तर गोवा के एसपी को पत्र भेजकर कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जानकारी मांगी थी जो बाद में मोबाइल सेवा प्रदाता के नोडल अधिकारी को भेजी गई.