लोकसभा में पीएम मोदी ने आखिर क्यों कहां- 'अच्छा हुआ दादा थैंक्यू', महंगाई को लेकर कह डाली ये बात
PM Modi In Parliament: ससंद में बजट सत्र के दौरान एक ऐसा समय आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी को कहा दादा थैंक्यू',
Parliament Budget Session: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार 5 फरवरी को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया है. इस दौरान पीएम मोदी ने तमाम विपक्षी दलों पर जमकर हमला बोला है और कहा कि सदन में मौजूद कई विपक्षी सांसद चुनाव लड़ने की हिम्मत को चुके है. इस बीच पीएम मोदी ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को थैंक्यू बोल दिया जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है.
पीएम मोदी कांग्रेस को लेकर परिवारवाद के साथ- साथ अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साध रहे थे. इस पर विपक्ष के नेता भी लगातार हंगामा करते हैं. जिस पर पीएम मोदी ने कहा कि उधर से दादा बार- बार बोल रहें है तो एक बात स्पष्ट कर दूं कि वो अपनी आदत छोड़ नहीं पा रहें हैं तो एक बार साफ कह दूं कि माफ करना अध्यक्ष महोदय मैं जरा समय ले रहा हूं लेकिन ये समझाना भी जरूरी है."
मेहंगाई डायन खाये जात है: PM मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "हमारे देश में महंगाई पर दो गाने सुपरहिट थे- 'मेहंगाई मर गई' और 'मेहंगाई डायन खाये जात है'. ये दोनों गाने कांग्रेस के शासन के दौरान आए थे. UPA के कार्यकाल में महंगाई दोहरे अंक में थी." इनकार नहीं किया जा सकता. उनकी सरकार का तर्क क्या था? असंवेदनशीलता उन्होंने कहा- आप महंगी आइसक्रीम खा सकते हैं लेकिन आप महंगाई का रोना क्यों रोते हैं? कांग्रेस जब भी सत्ता में आई, उसने महंगाई को बढ़ावा दिया.
एम नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ''देश सुरक्षा और शांति का अनुभव कर रहा है. पिछले 10 वर्षों की तुलना में देश सुरक्षा के क्षेत्र में वाकई सशक्त हुआ है. आतंकवाद और नक्सलवाद अब एक छोटे दायरे में सिमट गया है. लेकिन भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति आतंकवाद के प्रति अब पूरे विश्व को इस नीति पर चलने के लिए मजबूर कर रहा है.
आगे उन्होंने कहा कि, हमें भारत की सेना के पराक्रम पर गर्व होना चाहिए. लोग जितना चाहें उनका मनोबल तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन मुझे हमारी सेना पर भरोसा है...कुछ राजनेता सेना के लिए कुछ कहेंगे और इससे उसका मनोबल गिरेगा - जो लोग ऐसा सोचते हैं उन्हें उन सपनों से बाहर आना चाहिए... अगर वे किसी के एजेंट बन जाते हैं और ऐसी भाषा कहीं से भी आती है, तो देश इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता.'