संविधान पर बहस से संसद में गतिरोध खत्म, विपक्ष और सरकार के बीच बनी सहमति
संसद में लंबे गतिरोध के बाद सरकार और विपक्ष ने संविधान पर बहस के लिए सहमति बनाई है. 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में यह चर्चा लोकसभा और राज्यसभा में अलग-अलग तारीखों पर होगी. जानिए, कौन-कौन से मुद्दे उठाए जाएंगे और क्या प्रधानमंत्री मोदी भी इसमें बोलेंगे!
New Chapter of Democracy: संसद में लंबे समय से जारी गतिरोध के बाद अब स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है. सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति बनने के बाद तय किया गया है कि संविधान को अपनाए जाने के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में इस पर बहस आयोजित की जाएगी. इस महत्वपूर्ण बहस के जरिए संसद की कार्यवाही फिर से सुचारू होने की राह खुल गई है.
कब और कैसे होगी चर्चा?
यह ऐतिहासिक बहस लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को और राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को आयोजित होगी. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद इस फैसले पर सभी दलों ने सहमति जताई. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि सभी सांसदों से अपील की गई है कि वे संसद की कार्यवाही को बाधित न करें और इस समझौते का पालन करें.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने निचले सदन में गतिरोध समाप्त करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की।
बैठक के दौरान सभी राजनीतिक दलों ने सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने पर सहमति जताई।
13 और 14 दिसंबर को लोकसभा में संविधान पर विशेष चर्चा होगी।@ombirlakota pic.twitter.com/IymKaBrSGA
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) December 2, 2024
क्या-क्या मुद्दे उठाए जाएंगे?
संविधान पर चर्चा के दौरान विभिन्न दल अलग-अलग मुद्दे उठाने की योजना बना रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा उठाएगी. वहीं, समाजवादी पार्टी संभल हिंसा पर चर्चा करेगी. सूत्रों के अनुसार, इस बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने विचार रख सकते हैं. हालांकि, विपक्ष द्वारा उठाए गए अडानी समूह से जुड़े भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना कम है.
कांग्रेस और TMC के अलग-अलग रुख
जहां कांग्रेस लगातार अडानी मुद्दे पर मुखर है और इसे लेकर सरकार की आलोचना करती रही है, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने इस बार कांग्रेस से अलग रुख अपनाया है. टीएमसी बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और विपक्षी शासित राज्यों के साथ राजकोषीय भेदभाव जैसे व्यापक मुद्दों को प्राथमिकता देगी.
संसद में सुचारू कार्यवाही की उम्मीद
पिछले कई सत्रों से संसद में हंगामे के कारण कामकाज बाधित हो रहा था. लेकिन इस नई सहमति के बाद उम्मीद है कि संसद की कार्यवाही अब सुचारू रूप से चलेगी. सरकार और विपक्ष का यह कदम न केवल बहस को दिशा देगा, बल्कि देश के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर ठोस चर्चा का रास्ता भी खोलेगा.
संविधान के 75वें वर्ष पर यह चर्चा केवल एक समारोह नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की ताकत और उसकी जड़ों को मजबूत करने का अवसर भी है. सभी दलों की भागीदारी से यह बहस यादगार और ऐतिहासिक होने की संभावना है.