एनडीए से अलग हुए पशुपति पारस, महागठबंधन के साथ जाने के दिए संकेत, बीजेपी और जेडीयू पर लगाए यह आरोप
अपनी नई राजनीतिक दिशा के तहत आरएलजेपी ने राज्यव्यापी सदस्यता अभियान शुरू किया है और आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना की पुष्टि की है, जो इस साल अक्टूबर और नवंबर के बीच होने की उम्मीद है. चुनाव आयोग ने अभी तक आधिकारिक तौर पर मतदान की तारीखों की घोषणा नहीं की है.

राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने प्रमुख गठबंधन सहयोगियों की ओर से लगातार उपेक्षा और सम्मान की कमी का हवाला देते हुए अपनी पार्टी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर होने की घोषणा की. सोमवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पारस ने एनडीए के प्रति वर्षों की वफ़ादारी के बावजूद अपनी पार्टी के साथ किए गए व्यवहार पर निराशा व्यक्त की. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) जेडी(यू) पर खासकर मौजूदा लोकसभा चुनावों के दौरान आरएलजेपी को दरकिनार करने का आरोप लगाया. पारस ने कहा कि हम 2014 से ही वफ़ादार सहयोगी रहे हैं, फिर भी हमारे साथ गलत व्यवहार किया गया. सिर्फ़ इसलिए कि हमारी पार्टी दलितों का प्रतिनिधित्व करती है, हमें वह पहचान नहीं दी गई जिसके हम हकदार थे."
बीजेपी जेडीयू पर लगाए यह आरोप
आरएलजेपी नेता ने बीजेपी और जेडी(यू) नेताओं की खास तौर पर आलोचना की, जिन्होंने बिहार में एनडीए की बैठकों के दौरान बार-बार खुद को 'पांच पांडव' बताया, जबकि उनकी पार्टी को कहानी से बाहर रखा. पारस के अनुसार, इस लगातार बहिष्कार ने उनकी पार्टी के योगदान के प्रति सम्मान और सम्मान की कमी को उजागर किया. उन्होंने कहा कि एनडीए की हर बैठक में, बीजेपी और जेडी(यू) के प्रदेश अध्यक्षों ने बिहार की राजनीति में पांच पांडवों की बात की, लेकिन उन्होंने कभी आरएलजेपी का जिक्र तक नहीं किया. यह अपमानजनक था.
सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी आरएलजेपी
अपनी नई राजनीतिक दिशा के तहत आरएलजेपी ने राज्यव्यापी सदस्यता अभियान शुरू किया है और आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना की पुष्टि की है, जो इस साल अक्टूबर और नवंबर के बीच होने की उम्मीद है. चुनाव आयोग ने अभी तक आधिकारिक तौर पर मतदान की तारीखों की घोषणा नहीं की है.
महागठबंधन के साथ भी जा सकते हैं
पारस ने भविष्य में गठबंधन के लिए भी दरवाजा खुला रखा, खास तौर पर विपक्षी महागठबंधन के साथ, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं. पारस ने कहा, "हम अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अगर हमें सही समय पर वो सम्मान दिया जाता है जिसके हम हकदार हैं, तो हम महागठबंधन के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं."
एनडीए से आरएलजेपी का बाहर होना बिहार की राजनीतिक गतिशीलता में संभावित बदलाव को दर्शाता है, जहां आगामी चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडी(यू) और भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर के रूप में सामने आ रहे हैं.