BIHAR: बिहार में जातीय जनगणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को पटना हाईकोर्ट ने किया खारिज
Bihar: पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर फैसला सुनाया है और बिहार राज्य द्वारा किए जा रहे जाति सर्वेक्षण को बरकरार रखा है.
हाइलाइट
- 4 मई को हाई कोर्ट ने जातीय जगणना पर रोक लगाई थी
- हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला
- हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने रोक हटाने से इंकार कर दिया था
Caste Census in Bihar: पटना हाई कोर्ट ने मंगलवार को बिहार राज्य द्वारा किए जा रहे जाति सर्वेक्षण को बरकरार रखा है. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सभी को खारीज कर दिया है. सर्वेक्षण दो चरणों में किया जाना है. पहला चरण, जिसके तहत घरेलू गिनती का अभ्यास किया गया था. जिसे इस साल जनवरी में राज्य सरकार द्वारा आयोजित किया गया था.
4 मई को हाई कोर्ट ने जातीय जगणना पर रोक लगा थी
सर्वेक्षण का दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ, जिसमें लोगों की जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से संबंधित डेटा इकट्ठा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया. पूरी प्रक्रिया इस साल मई तक पूरी करने की योजना थी. हालांकि, 4 मई को हाई कोर्ट ने जाति जनगणना पर रोक लगा दी थी.
#WATCH | Patna: Advocate Dinu Kumar says "Judge gave this verdict that all petitions challenging Bihar Government's Caste based survey have been dismissed. He will move Supreme Court against this" pic.twitter.com/SrYnxJ3Pdp
— ANI (@ANI) August 1, 2023
मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की पीठ ने रोक लगाने की मांग वाली तीन याचिकाओं पर आदेश पारित किया था. इसमें पाया गया कि सर्वेक्षण वास्तव में एक जनगणना थी, जिसे केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है. कोर्ट ने कहा था, "हमने पाया है कि जाति-आधारित सर्वेक्षण एक सर्वेक्षण की आड़ में एक जनगणना है. इसे पूरा करने की शक्ति विशेष रूप से केंद्रीय संसद के पास है, जिसने जनगणना अधिनियम, 1948 भी बनाया है."
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था बिहार सरकार
इसके बाद बिहार सरकार ने जाति-आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाले उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. हालांकि, शीर्ष अदालत ने रोक हटाने से इनकार कर दिया. इसके बाद मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय ने की, जिसने आज जातीय जनगणना को चुनौती देने वाले याचिका को खारिज कर दिया.