लोग खुद को घरों में कर लेते हैं बंद, हिमाचल का एक ऐसा गांव जहां नहीं मनाई जाती दिवाली

Diwali Celebrations Ground Report: हमीरपुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूरी पर स्थित सम्मू गांव है. यहां पर दिवाली को लेकर कोई क्रेज नहीं है. गांव वाले हर साल की तरह, इस बार भी दिवाली नहीं मनाएंगे.

Dimple Yadav
Dimple Yadav

Diwali Celebrations Ground Report: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर का एक गांव कभी दिवाली नहीं मनाता. हमीरपुर जिले के सम्मू गांव में दिवाली नहीं मनाई जाती है और इस दिन कोई पकवान भी नहीं बनाया जाता है, स्थानीय लोगों के अनुसार इस गांव को श्राप मिला है इसलिए इस गांव में दिवाली की धूम नहीं होती है. ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई इस नियम को तोड़ता है, तो गांव पर विपत्ति आ सकती है या अकाल मृत्यु हो सकती है.

हमीपुर जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर सम्मू गांव में इस साल भी दिवाली की रोशनी नहीं है, यहां सैकड़ों साल से दिवाली मनाने पर रोक है. दिवाली पर दीपक जलाए जाते हैं. लेकिन गांव वालों का मानना ​​है कि अगर किसी ने गलती से भी पटाखे फोड़े या मिठाई या पंचपकवान बनाया तो गांव में मुसीबत आ जाएगी. गांव को श्राप से मुक्ति दिलाने के भी प्रयास किये गये. इसकी कोशिश कई बार की गई. लेकिन सारी कोशिशें बेकार हैं. इस श्राप से लोग इतने डरे हुए हैं कि दिवाली के दिन अपने घर से बाहर निकलना भी मुनासिब नहीं समझते हैं.

दिवाली आपदा लेकर आती है

इस गांव में सैकड़ों सालों से दिवाली नहीं मनाई गई है. बुजुर्ग ठाकुर विधिचंद ने कहा कि अगर कोई दिवाली मनाने की कोशिश भी करेगा तो गांव में कोई न कोई मर जाएगा या मुसीबत में फंस जाएगा. दुख की बात है कि यह त्योहार इसलिए शुरू हुआ क्योंकि देश में बाकी सभी जगहों पर दिवाली मनाई जाती है. बीना नाम की महिला ने कहा कि दिवाली का त्योहार आसपास के गांवों में होता है, ऐसा हमारे गांव में नहीं हो सकता. उन्होंने बताया कि इस श्राप से मुक्ति के लिए गांव में कई बार होम-हवन कराया गया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.

अभिशाप कथा?

दिवाली के दिन इस गांव की एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई. महिला दिवाली पर घर जा रही थी. उसका पति राजा के दरबार में एक सैनिक था. लेकिन जब महिला गांव से कुछ दूरी पर थी तो उसे एहसास हुआ कि उसके पति की मृत्यु हो गई है. उस समय महिला गर्भवती थी. महिला इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसने अपने पति के साथ सती होने का फैसला किया. जाते-जाते उसने पूरे गांव को श्राप दे दिया कि इस गांव के लोग कभी भी दिवाली का त्योहार नहीं मना पाएंगे. तब से इस गांव में किसी ने भी दिवाली नहीं मनाई है. लोग सती की मूर्ति की ही पूजा करते हैं. 

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31 October 2024, 12:25 PM IST

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