Dr. Zakir Hussain Birth Anniversary: पहले मुस्लिम राष्ट्रपति की जीत के बाद सड़कों पर नाचलने लगे थे लोग, 23 की उम्र में बनाई जामिया
India's first Muslim President: ये कहानी देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति की है जिसकी जीत का ऐलान दिल्ली की जामा मस्जिद से किया गया था. कहा जाता है कि, उनकी जीत की घोषना के बाद दिल्ली की सड़कों पर लोग नाचने लगे गए थे.
Dr. Zakir Hussain Birth Anniversary: देश के तीसरे राष्ट्रपति डाक्टर ज़ाकिर हुसैन थे. वह भारत के राष्ट्रपति बनने वाले पहले मुसलमान थे. वह एक भारतीय अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे. उन्होंने 13 मई 1967 से लेकर 3 मई 1969 तक अपने आखिरी समय तक भारत के तीसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. आज उनका बर्थ एनिवर्सरी है तो चलिए इस खास मौके पर उनके बारे में कुछ रोचक बाते जानते हैं.
डाक्टर ज़ाकिर हुसैन का परिचय-
डाक्टर ज़ाकिर हुसैन मूल रूप से हैदराबाद के थे. उनका जन्म 8 फरवरी 1897 को तेलंगाना के धनाढ्य पठान परिवार में हुआ था. हुसैन की शुरुआती पढ़ाई हैदराबाद में पूरी हुई. हालांकि कुछ समय बाद उनके पिता उत्तर प्रदेश में आकर रहने लगे.इसके बाद उन्होंने इस्लामिया हाई स्कूल इटावा से हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की. बाद में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के क्रिश्चियन डिग्री कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की.
जब देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति की जीत की हुई थी घोषणा-
तारीख 6 मई 1967 की जब देश में तीसरे राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने वाले थे. उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी जिसके खिलाफ पूरा विपक्ष था. कांग्रेस के तरह राष्ट्रपति के उम्मीदवार डाक्टर ज़ाकिर हुसैन थे वहीं विपक्ष की तरफ से के. सुब्बाराव उम्मीदवार थे. उस समय देश में एक अलग माहौल बना हुआ था क्योंकि उस समय समय जनसंघ की तरफ से ये संदेश दी गई थी कि, एक मुस्लिम को देश के राष्ट्रपति के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. हालांकि कुल 8,38,170 वोटों में से 4,71,244 वोट हासिल कर हुसैन राष्ट्रपति का चुनाव जीते और भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बने.
केवल 23 वर्ष की उम्र में की जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना
स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद हुसैन जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय गए. जहां वह एक प्रमुख छात्र नेता बने. जब वह 23 वर्ष के थे तब उन्होंने छात्रों और शिक्षकों के एक समूह के साथ मिलकर राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की जिसे आज जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नाम से जाना था. साल 1920 में उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया था जिसके बाद वह उप कुलपति बने.