Pharmaceutical Company : भारत सरकार देश की दवा कंपनियों के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करती है. जिससे किसी भी नागरिक को सेहत से जुड़ी समस्या न हो. इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवाओं के उत्पादन को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है. इसमें कहा गया है कि अब देश की फार्मास्यूटिकल कंपनियों को दवा बनाने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा. निर्माताओं को अपने प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता की जिम्मेदारी लेनी होगी. यह देखना होगा कि जो दवा बनाई गई है, उससे लेने से मरीजों को किसी तरह का जोखिम न हो.
सरकार ने फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. नई गाइडलाइन में कहा गया कि दवा कंपनियों को प्रोडक्ट की गुणवत्ता सुनिश्चित करनी होगी. फार्मा कंपनियों को लाइसेंस के मापदंडों के मुताबिक ही दवा बनानी होगी. दवाओं को पूरी तरह से टेस्टिंग के बाद ही बाजार में बेचना होगा.
इसमें खराब दवाओं को वापस लेने के बारे में भी निर्देश दिए गए हैं. इन दवाओं को वापस लेने से पहले लाइसेंसिंग अथॉरिटी को सूचित करना होगा. साथ ही दवा को क्यों वापस लिया जा सकता है जिसकी डिटेल भी देनी होगी. दवा में क्या कमी है ये बताना होगा इससे पहले किसी दवा को वापस लेने से पहले लाइसेंसिंग अथॉरिटी को जानकारी नहीं देनी होती थी.
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन में कहा गया कि सभी दवा कंपनियों को एक फार्माकोविजिलेंस सिस्टम बनाए. यह एक ऐसी निगरानी प्रणाली होगी जो कंपनी की दवाओं की क्वालिटी पर नजर रखेगी. अगर किसी दवा में कोई खामी आती है और वापस लेनी की जरूरत आती है तो इस सिस्टम की भूमिका अहम होगी.
यह सिस्टम लाइसेंसिंग अथॉरिटी को रिपोर्ट सौंपेगी और बनाएगी कि दवा में क्या खराबी है इसके सेवन से क्या नुकसान हो सकता है. नई गाइडलाइन को 250 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों को 6 महीने में पालन करना होगा. वहीं इससे कम टर्नओवर वाली कंपनियों को एक साल का समय दिया जाएगा. First Updated : Sunday, 07 January 2024