आज रात आसमान में दिखेगा पिंक मून! जानिए इसका धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
पिंक मून 2025, जो 13 अप्रैल की सुबह भारत में दिखाई देगा, साल का सबसे छोटा फुल मून यानी 'माइक्रोमून' होगा. इसका नाम गुलाबी फूल मॉस पिंक से जुड़ा है, न कि चांद के रंग से. यह चांद ईस्टर की तारीख तय करने वाला 'पैस्कल मून' भी होता है और इसे नए आरंभ व आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.

आसमान में एक अद्भुत खगोलीय नज़ारा होने वाला है 'पिंक मून 2025'. हालांकि नाम से लगता है कि यह चांद गुलाबी रंग में नजर आएगा, लेकिन असलियत कुछ और ही है. यह अप्रैल की पूर्णिमा की रात को दिखाई देगा और खास बात यह है कि यह साल का सबसे छोटा फुल मून यानी ‘माइक्रोमून’ होगा.
पिंक मून सिर्फ नाम में गुलाबी है, असल में यह नाम उत्तरी अमेरिका की वसंत ऋतु में खिलने वाले खास फूल फ्लॉक्स सबुलेटा (moss pink) के कारण पड़ा है. इस पूर्णिमा का धार्मिक महत्व भी है, क्योंकि इसे 'पैस्कल मून' (Paschal Moon) भी कहा जाता है, जो ईस्टर की तारीख निर्धारित करने में मदद करता है.
पिंक मून 2025 क्या है?
पिंक मून अप्रैल महीने की पूर्णिमा होती है, जो 2025 में शनिवार, 12 अप्रैल को रात 8:22 PM EDT (भारत में रविवार, 13 अप्रैल को सुबह 5:00 AM IST) पर दिखाई देगी. इसका नाम गुलाबी फूलों के कारण पड़ा है, न कि चांद के रंग की वजह से. Native American समुदायों और उपनिवेश काल की परंपराओं के अनुसार, इस नाम को वसंत में प्रकृति में आने वाले बदलावों से जोड़ा गया है.
क्यों नहीं होता चांद सच में गुलाबी?
'पिंक मून' नाम के बावजूद चांद का रंग गुलाबी नहीं होता. कभी-कभी वायुमंडलीय स्थितियों के कारण चांद नारंगी या हल्का लाल दिखाई दे सकता है, लेकिन यह एक दृश्य भ्रम (Moon Illusion) होता है. यह भ्रम तब होता है जब चांद क्षितिज के पास होता है और उसकी तुलना आसपास की वस्तुओं से की जाती है, जिससे वह आकार में बड़ा और रंग में अलग लगता है.
क्या है माइक्रोमून?
2025 का पिंक मून एक Micromoon होगा, यानी यह चांद पृथ्वी से सबसे दूर के बिंदु (Apogee) पर होगा. इस कारण यह सामान्य फुल मून की तुलना में आकार में थोड़ा छोटा और चमक में हल्का नजर आएगा. जहां सुपरमून अपनी विशालता और चमक के लिए प्रसिद्ध होते हैं, वहीं माइक्रोमून अपनी शांत और अनूठी सुंदरता से लोगों का ध्यान खींचते हैं.
पिंक मून कब और कहां से देखें?
भारत में यह चांद रविवार, 13 अप्रैल 2025 को सुबह 5:00 बजे IST पर नजर आएगा. इसे देखने के लिए सबसे अच्छा समय सूर्योदय से ठीक पहले होगा.
1. समय: चांद को पूर्व दिशा की ओर क्षितिज के पास उगते समय देखें.
2. स्थान: खुले मैदान, पहाड़ों की चोटी, समुद्र किनारे या किसी ग्रामीण क्षेत्र से देखें जहां कृत्रिम रोशनी कम हो.
3. उपकरण: दूरबीन या टेलीस्कोप से आप चांद के गड्ढे और सतह की संरचना को बेहतर देख सकते हैं.
4. फोटोग्राफी: तिपाई पर कैमरा लगाएं और किसी दिलचस्प फ्रेम (जैसे पेड़, मंदिर या पहाड़) के साथ चांद की तस्वीर लें.
5. सितारे के साथ: पिंक मून के पास स्पिका (Spica) नामक तारा भी नजर आएगा, जो वर्जो (Virgo) नक्षत्र का सबसे चमकीला तारा है.
पिंक मून 2025 से जुड़े 10 रोचक तथ्य
1. नाम की उत्पत्ति: 'पिंक मून' नाम उत्तर अमेरिकी आदिवासी परंपराओं से लिया गया है.
2. तारीख और समय: 12 अप्रैल को रात 8:22 PM EDT / 13 अप्रैल को सुबह 5:00 AM IST.
3. माइक्रोमून: यह साल का सबसे छोटा फुल मून होगा.
4. मून इल्यूजन: क्षितिज के पास यह चांद बड़ा और रंग में हल्का नारंगी दिख सकता है.
5. रंग में बदलाव: यह चांद गुलाबी नहीं बल्कि नारंगी या पीला नजर आ सकता है.
6. धार्मिक महत्व: इसे पैस्कल मून भी कहते हैं, जिससे ईस्टर की तारीख तय होती है.
7. आध्यात्मिक महत्व: यह पूर्णिमा नए आरंभ, ऊर्जा और परिवर्तन का प्रतीक मानी जाती है.
8. स्पिका तारा: इस रात आप 'स्पिका' तारे को भी चांद के पास देख सकेंगे.
9. दुनिया भर में दृश्य: यह चांद भारत सहित पूरी दुनिया में देखा जा सकेगा.
10. विज्ञान की दृष्टि से: यह वह स्थिति होती है जब चांद पृथ्वी के ठीक सामने होता है और पूरी तरह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है.
पिंक मून 2025 सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खास अनुभव है. चाहे आप खगोल विज्ञान प्रेमी हों या सिर्फ एक सुंदर रात का आनंद लेना चाहते हों 13 अप्रैल की सुबह की यह पूर्णिमा जरूर देखने लायक होगी.