Narendra Modi: पीएम नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "आप सभी को All India Presiding Officers Conference के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं. इस बार ये Conference और भी विशेष है, ये Conference भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के तुरंत बाद हो रही है. 26 जनवरी को ही आज से 75 साल पहले हमारा संविधान लागू हुआ था यानी संविधान के भी 75 साल पूरे हो रहे हैं. मैं संविधान सभा के सभी सदस्यों को देशवासियों की तरफ ये श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि, "इस Conference में उपस्थित सभी पीठासीन अधिकारियों के पास ये अवसर है कि वे एक बार फिर संविधान सभा के आदर्शों से प्रेरणा लें. आप सभी अपने कार्यकाल में भी कुछ ऐसा प्रयास करें, जो पीढ़ियों के लिए एक धरोहर बन सके. मुझे बताया गया है कि इस बार चर्चा का मुख्य विषय विधान मंडलों की कार्य संस्कृति और समितियों की प्रभावकारिता एवं दक्षता सुनिश्चित करने के कदम होंगे. आगे उन्होंने कहा कि, आज जिस प्रकार देश की जनता जागरूकता के साथ प्रत्येक जन-प्रतिनिधि को परख रही है, उसका विश्लेषण कर रही है, ऐसे में इस तरह की समीक्षाएं और चर्चाएं बहुत उपयोगी साबित होंगी.
पीएम मोदी ने कहा कि, "सदन में जनप्रतिनिधियों का व्यवहार और सदन का वातावरण निरंतर सकारात्मक कैसे बना रहे, सदन की productivity कैसे बढ़े, इसके लिए इस Conference से निकले ठोस सुझाव बहुत मददगार होंगे. एक समय था, जब सदन में कोई सदस्य मर्यादा का उल्लंघन करे और उस पर नियम के मुताबिक कार्यवाही हो तो सदन के बाकी वरिष्ठ उसको समझाते थे ताकि भविष्य में वह ऐसी गलती न दोहराए और सदन के वातावरण को उसकी मर्यादाओं को टूटने न दे. लेकिन आज के समय में हमने देखा है कि कुछ राजनीतिक दल ऐसे ही सदस्यों के समर्थन में खड़े होकर उनकी गलतियों का बचाव करने लग जाते हैं. ये स्थिति सदन के लिए ठीक नहीं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि, "कोई भी जन प्रतिनिधि सदन में जिस प्रकार आचरण करता है, उसके देश की संसदीय व्यवस्था भी उसी प्रकार देखने को मिलती है. इस सम्मेलन से निकले सुझाव सदन में जन प्रतिनिधियों के व्यवहार को निर्धारित करने, सदन का सकारात्मक माहौल सुनिश्चित करने और सदन की उत्पादकता बढ़ाने में बहुत मददगार होंगे. पिछले वर्ष ही संसद ने 'नारीशक्ति वंदन अधिनियम' को मंजूरी दी है. इस Conference में ऐसे सुझावों पर भी चर्चा होनी चाहिए, जिनसे नारी सशक्तिकरण का प्रयास और प्रतिनिधित्व बढ़े." First Updated : Saturday, 27 January 2024